Haryana
अकेला खाने वाला पाप खाता है और पापी होता है – मिथिलेश
सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) – आर्य समाज में रविवारीय साप्ताहिक सत्संग के दौरान यजमान के आसन पर प्रधान इन्द्रजीत आर्य उपस्थित रहे। पुरोहित मिथिलेश शास्त्री ने मनुष्य के पांच कर्तव्यों की महत्ता के बारे में बताते हुए कहा कि पहला कत्र्तव्य भूखे को भोजन खिलाना, प्रभु ने मरने के लिए केवल भूख ही नहीं दी […]
सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) – आर्य समाज में रविवारीय साप्ताहिक सत्संग के दौरान यजमान के आसन पर प्रधान इन्द्रजीत आर्य उपस्थित रहे। पुरोहित मिथिलेश शास्त्री ने मनुष्य के पांच कर्तव्यों की महत्ता के बारे में बताते हुए कहा कि पहला कत्र्तव्य भूखे को भोजन खिलाना, प्रभु ने मरने के लिए केवल भूख ही नहीं दी ह जो खाते-पीते हैं मरते वें भी हैं जो औरों का पेट भरने के लिए अपने साधनों का त्याग करते हैं उसका धन नष्ट नहीं होता, बल्कि बढ़ जाता है।
अकेला खाने वाला पाप खाता है और पापी होता है। दूसरा साधनहीन, अभावग्रस्त व दुखी व्यक्तियों के लिए साधन जुटा देने चाहिए। तीसरा दृष्टि से हीन अन्धा है उसके कष्ट को समझकर उसकी सहायता करनी चाहिए। चौथा जो पाप रोगी है, जो कुष्ठादि व्याधियों से पीडि़त है और जो अपने पापों का फल भोग रहा है, उसकी सहायता करना तुम्हारा परम कत्र्तव्य है। अंतिम पांचवीं बात कही गई है कि औषधि दवा का प्रबंध करके रोगियों को कष्ट निवृत करो। इस अवसर पर आदित्य आर्य, उमेश आर्य, इंद्रजीत आर्य, महेन्द्र आर्य, धर्मपाल आर्य सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।