सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) – गांव डूमरखां कलां में महात्मा रावण के बलिदान दिवस पर हल्काध्यक्ष विनोद डूमरखा की अध्यक्षता में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्यातिथि आदि अम्बेडकर आन्दोलन के जिला अध्यक्ष संजय कालवन व मुकेश सुदकैन ने कहा कि महात्मा रावण और राम का युद्ध माता सीता के लिए नहीं, बल्कि दो संस्कृतियों (अनार्ये और आर्य) का युद्ध था। आर्य यज्ञों -हवनो में अनाज, सुखे मेवे, देसी घी पुजा-पाठ के नाम पर जला देते। महात्मा रावण इसके विरोधी थे।
महात्मा रावण दुनिया के सबसे बड़े विद्वान तो थे ही, एक बड़े रचनाकार, जिन्होंने बच्चों की बीमारी पर कुमार तन्त्र नाम ग्रन्थ लिखा। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो महात्मा रावण के पुतले को आग लगाई जाती हैं ,लेकिन जलने के बाद अपने घर की सुख-शांति के लिए उस पुतले की लकड़ी को घर ले जाना चाहते हैं। पवन राणा ने बताया कि जब महात्मा रावण मृत्यु शैय्या पर लेटे थे तो राम ने लक्ष्मण से कहा कि रावण बहुत बड़े विद्वान है, उनसे ज्ञान प्राप्त करो।
आज देश में वातावरण चारों और से दूषित हो रहा है और पराली जलाने पर सजा व जुर्माना प्रावधान कर रही है और दूसरी ओर सरकार रावण के बड़े-बड़े पुतलों पर लाखों करोड़ों रूपए खर्च कर पुतले जलाकर वातावरण प्रदूषित कर रही है। इस मौके पर नरेश मतंग, तमन्य वाल्मीकि, जोरा प्रधान, सुरेन्द्र राणा, सुनीत तारखा, सुनील दानव, विकास राणा, रोहताश, संजय डुमरखां, सुखदेव रावण, विक्रम आदिवंसी, नरबीर बबरीक, रवि दानव आदि उपस्थित रहे।
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