सत्यखबर,रेवाड़ी(संजय कौशिक )
स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज का खौफ़ शायद रेवाड़ी के नागरिक अस्पताल पर नहीं दिखाई देता और ना ही बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के दावे यहाँ दिखाई देते है। यहां दिखाई देता है तो केवल मौत का डर दिखाकर मरीजों से कमीशन ऐंठना।यह हम नहीं कह रहे, बल्कि पीड़ित ने इसकी शिकायत उपायुक्त से लेकर महिला आयोग की चेयरपर्सन तक को की है। पीड़ित ने इस कमीशन के खेल में अपनी पत्नी के गर्भ में पल रहे बच्चे को खो दिया। तस्वीरों में आप हाथ में शिकायत की प्रति हाथ में लिए जिस शख़्स को देख रहे है। पहले तो हम आपको इसका परिचय करवा देते है। यह जिले के गांव नेहरूगढ़ का रहने वाला संजय है और वह मजदूरी का कार्य करता है। गत 10 मार्च को वह अपनी पत्नी की डिलीवरी करवाने रेवाड़ी के नागरिक अस्पताल आया था, जहां उन्हें कुछ दवाइयां देकर वापस घर भेज दिया गया। रात्रि को पत्नी को जब प्रसव पीड़ा हुई तो वह एम्बुलेंस बुलाकर फिर अपनी पत्नी को नागरिक अस्पताल ले आया। चिकित्सकों ने पहले तो कहा कि इसकी हालत नाजुक है। इसलिए इसे हायर सेंटर रोहतक भेजा जाएगा। जब संजय नहीं समझा तो उसे कहा गया कि इसका अल्ट्रासाउंड करवाया जाए। रात को अस्पताल में सुविधा ना होने के कारण बाहर से अल्ट्रासाउंड करवाया गया। फिर डिलीवरी सुबह कराने की बात कहकर प्रसव पीड़ा में उसकी पत्नी को अकेला छोड़ दिया गया। इतने में रात करीब एक बजे एक निजी अस्पताल की नर्स आई और तत्काल डिलीवरी करवाने की बात कहकर उसे अपने साथ ले गई। डिलीवरी तो तत्काल करवा दी गई, लेकिन बच्चा गर्भ में ही दम तोड़ चुका था। इस पर जब संजय ने आवाज उठाई तो सरकारी अस्पताल ने जहा प्रसूता की फ़ाइल को चोरी करने का आरोप लगा दिया तो वहीं निजी अस्पताल संचालक ने कहा कि यह फ़ाइल फाड़कर फेक दी। यह मामला कमीशन का है। इसके समझने में कोई देर नहीं लगती। हालांकि यह कोई पहला मामला हो यह भी नहीं है। यहां गरीबों को मौत का भय दिखाकर कमीशन के लिए निजी अस्पतालों में भेजने के कई मामले शुर्खियों में रह चुके है। अधिकारियों ने भी रटा रटाया जवाब कई बार दिया, लेकिन जांच भी उन्होंने ही करनी थी। इसलिए आज तक किसी भी मामले में कार्रवाई तक नहीं हुई। संजय ने ना केवल जिला उपायुक्त को इसकी शिकायत दे रखी है, बल्कि रेवाड़ी पहुंची हरियाणा महिला आयोग की चेयरपर्सन प्रतिभा सुमन के सामने भी रखी। उन्होंने भी संजय को कार्रवाई का आश्वाशन जरूर दिया है। लेकिन देखना होगा कि यह आश्वाशन आश्वाशन ही रह जाएगा या फिर नागरिक अस्पताल के कर्मचारी व अधिकारी कमीशन के लिए मौत का ख़ौफ़ दिखाकर यू हीं गरीबों की जेबों पर डाका डाला जाएगा। रेवाड़ी के नागरिक अस्पताल में ना तो स्वास्थ्य मंत्री का डर दिखाई देता है और ना मुख्यमंत्री का सुशासन।
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