सत्यखबर सफीदों (महाबीर मित्तल) – नगर के आर्य समाज मंदिर में साप्ताहिक महिला सत्संग एवं यज्ञ का आयोजन किया गया। इस मौके पर स्वामी धर्मदेव महाराज ने विशेष रूप से शिरकत की। वहीं पंडित संदीप आर्य अपने भजनों के माध्यम से आर्य समाज और उसके सिद्धांतों के बारे में लोगों को बताया। स्वामी धर्मदेव महाराज ने ईश्वर की भक्ति कैसे करें और जीवात्मा के स्वरूप पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ईश्वर निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, निर्विकार, अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य, पवित्र और सृष्टिकर्ता है।
ईश्वर का यह स्वरूप जगत व सृष्टि में विद्यमान है जिसे विवेक व बुद्धि से जाना जा सकता है। जगत का कर्ता वही एकमात्र ईश्वर है क्योंकि चेतन तत्व में ही ज्ञान व तदनुरूप क्रिया होती है। यह सृष्टि भी ज्ञान व क्रिया की पराकाष्ठा है इससे भी ईश्वर चेतन तत्व व सर्वशक्तिमान सिद्ध होता है। ईश्वर स्वभाव से आनन्द से युक्त है। हर क्षण व हर पल वह आनन्द से युक्त रहता है। यदि ऐसा न होता तो वह सृष्टि नहीं बना सकता था और नाहि अन्य ईश्वरीय कार्य, सृष्टि का पालन, जीवों के सुख-दु:ख रूपी भोगों की व्यवस्था आदि कार्य कर सकता था। इसी प्रकार से ईश्वर के विषय में जो बातें कही हैं वह जानी व समझी जा सकती है। यही ईश्वर का सत्य स्वरूप है।
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