सत्यखबर,नूंह (ऐ के बघेल )
ई पंचायत के विरोध में एकजुट हुए सरपंच , मंत्री बनवारी लाल ने समझाने की कि कोशिश , हुए असफल , डीसी अशोक कुमार को आना पड़ा नीचे , तब शांत सरपंचों ने डीसी के माध्यम से सीएम को सौंपा ज्ञापन
नूंह जिले के जिन सरपंचों को कल तक भाजपा सरकार की पढ़े – लिखे की शर्त बेहद पसंद थी , उन्हीं सरपंचों को अब भाजपा की ई – पंचायत मुहिम रास नहीं आ रही है। ऑनलाइन रिकार्ड से सरपंचों को परेशानी हुई तो सोमवार को जिले के सरपंच सैकड़ों की संख्या में लोक निर्माण विश्राम गृह नूंह में पहुंचे। सरपंचों ने सरकार और प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जाहिर करते हुए , प्रदर्शन किया और सरकार विरोधी नारेबाजी करते हुए लघु सचिवालय परिसर पहुंचे। उसी दौरान ग्रीवेंस की बैठक लेने के बाद जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉक्टर बनवारी लाल भी सचिवालय से निकलकर गाड़ी में बैठने चले तो भीड़ देखकर मंत्री जी सरपंचों से बातचीत कर उन्हें समझाने लगे , लेकिन गुस्से में लाल – ताते सरपंचों ने उनकी एक नहीं सुनी और डीसी अशोक कुमार शर्मा तथा एसपी नाजनीन भसीन अपने दफ्तर से बाहर आये। सरपंच मंत्री की गाड़ी का घेराव कर नारेबाजी करने लगे। आख़िरकार डीसी अशोक कुमार ने सरपंचों को शांत कराकर उनका ज्ञापन लिया। ध्यान रहे कि मजबूती से लड़ाई लड़ने के लिए सरपंच एशोसिएशन का गठन भी इसी माह किया गया । एशोसिएशन का प्रधान मुकेश यादव सरपंच मोहम्दपुर अहीर को चुना गया तो इरशाद उर्फ़ भुरू सरपंचपैमाखेड़ा को उपाध्यक्ष चुना गया। इसके अलावा कई खंडों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष भी चुने गए। चुने गए पदाधिकारी बाकि पदाधिकारियों का चयन करेंगे। बैठक के बाद सरपंचों ने डीसी अशोक कुमार शर्मा से मुलाकात कर पहले भी मांगों का ज्ञापन सौंपा। लेकिन उसे सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया। जिसके चलते सरपंचों के तेवर गुरुवार को पूरी तरह गर्म दिखाई दिए। सरपंचों ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर सरकार ने आगामी 28 मार्च तक उनकी मांगों पर अमल नहीं किया तो सीएम आवास चंडीगढ़ धरना देने को मजबूर होंगे। नूंह मेवात जिले के सरपंचों के मुताबिक अगर सरकार को सिस्टम ऑनलाइन करना था , तो छोटी सरकार को पढ़ा – लिखा क्यों बनाया। इससे तो अनपढ़ सरपंच भी काम कर सकते थे। उन्होंने कहा कि इस सिस्टम से विकास कार्य प्रभावित होंगे , क्योंकि विकास के लिए लेबर को सरपंचों द्वारा पैसा दिया जाता है , तब बाद में पेमेंट होती है। इस्टीमेट से लेकर अन्य कामों से भी सरपंचों को परेशानी होगी। सरपंचों ने तो यह गंभीर आरोप भी लगाया कि अच्छे कामों की शुरुआत तो किसी दूसरे जिले से सरकार करती है और ऑनलाइन की शुरुआत नूंह मेवात जिले से की जा रही है। यही बात उनकी समझ में नहीं आ रही है। सरपंचों ने कहा कि उन्हें पॉवर लैस बनाकर रख दिया है ,जिन लोगों ने उन्हें अपना प्रतिनिधि चुना है , अब उनके लिए सरपंच क्या कर सकेगा। सरपंचों और पंचायत राज कानून को इससे मजबूती नहीं मिलेगी बल्कि कमजोरी मिलेगी। सरपंचों ने तो मांगें नहीं माने जाने पर भाजपा के खिलाफ होने से भी इंकार नहीं किया। अब देखना यह है कि सरकार और जिला प्रशासन नूंह जिले के सरपंचों की इस मांग को किस कदर लेती है ,लेकिन इतना जरूर है कि ई – पंचायत के फैसले ने छोटी सरकार की नींद उड़ा दी है ,यही कारण है कि सरकार और प्रशासन पर दवाब बनाने के लिए अब सरपंचों को नूंह मेवात जिले में भी यूनियन बनाने की जरुरत महसूस हो गई। भाजपा के लिए यह खतरे की घंटी है कि छोटी सरकार – बड़ी सरकार से नाराज होती दिख रही है। सरपंचों ने चुनावों में भी भाजपा को फैसला वापस लेने पर अंजाम भुगतने की धमकी तक दे डाली है।
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