सत्यखबर,सफीदों (सत्यदेव शर्मा )
चैत्र मास नवरात्र पर्व के उपलक्ष्य में नगर के ऐतिहासिक महाभारतकालीन नागक्षेत्र मंदिर हाल में शुक्रवार को श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह का शुभारंभ हुआ। इस ज्ञान यज्ञ में वेदाचार्य दंडीस्वामी निगमबोध तीर्थ महाराज का सानिध्य प्राप्त हुआ। वहीं कथावाचन के लिए लुधियाना से कथावाचक दीपक वशिष्ट ने शिरकत की। कथा के शुभारंभ से पूर्व नागक्षेत्र मंदिर हाल से विशाल कलश यात्रा निकाली गई। इस कलश यात्रा में नगर की सैंकड़ों महिलाओं से भाग लिया। पीले वस्त्र धारण करके और सिर पर कलश उठाए महिलाएं चल रही थी और उनके आगे-आगे वेदाचार्य दंडीस्वामी निगमबोध तीर्थ महाराज व कथावाचक दीपक वशिष्ट के अलावा नगर के गण्यमान्य लोग चल रहे थे। यात्रा के दौरान पूरा माहौल भक्तिमय हो गया था। कलश यात्रा के उपरांत आयोजक समिति के नरेश मंगला व नगर के गण्यमान्य लोगों ने वैदिक मंत्रोचारण के बीच वेदाचार्य दंडीस्वामी निगमबोध तीर्थ महाराज को मंचासीन करने उनका अभिनंदन किया तथा कथावाचक दीपक वशिष्ट को व्यास पीठ पर विराजमान करवाया। अपने आशीर्वचन में वेदाचार्य दंडीस्वामी निगमबोध तीर्थ महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत साक्षात कल्पवृक्ष है। यह शब्द रूप में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण हैं, इसलिए इसके श्रवण से मोक्ष मिल जाता है। जिस प्रकार से सूर्य संपूर्ण सृष्टि में अंधकार का नाश कर प्रकाश का प्रादुर्भाव करता है, ठीक उसी प्रकार श्रीमद् भागवत महापुराण मनुष्य के मन में व्याप्त अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर ज्ञान का प्रकाश करता है। उन्होंने कहा कि ईश्वर की अनुकंम्पा होने पर ही सत्संग का लाभ मिलता है। श्रीमद् भागवत कथा में सभी पुराण, चारों वेदों तथा छह शास्त्रों का संपूर्ण ज्ञान अंकित है। भागवत श्रवण मन को पवित्र करने का एकमात्र उपाय है। लाखों पुण्यों तथा सद्कर्म के बाद ही व्यक्ति के मन में भागवत कथा सुनने की इच्छा जागृत होती है। भागवत सुनने के लिए आकाश में देवता आकर स्थिर हो जाते हैं और भागवत श्रवण करते हैं, क्योंकि यह सौभाग्य स्वर्गलोक में नहीं है। जिसे भागवत श्रवण का अवसर नहीं मिलता उसका जीवन पशुतुल्य है। वहीं आयोजक समिति के प्रतिनिधि नरेश मंगला ने बताया कि यह कथा आगामी 29 मार्च तक सांय 3 बजे से 7 बजे तक निरंतर चलेगी तथा 30 मार्च को मंदिर प्रांगण में ही हवन व भंडारे का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि वे इस कथा में बढ़-चढक़र भाग लेकर धर्मलाभ कमाएं।
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