सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
अगर व्यक्ति मन में एक लक्ष्य पाने की इच्छा रखता है, तो वह उस मुकाम को हासिल करके रहता है। ऐसा ही एक मुकाम हासिल किया है, गांव खरल स्थित कन्या गुरूकुल खरल एवं एक किसान परिवार में कृष्ण खटकड़ और नीतू देवी के घर जन्मी एवं गांव करसिंधु खेड़ा की बेटी गीता ने, जिसने 12वीं कक्षा में कला संकाय में 491 अंक प्राप्त कर पूरे प्रदेश में तृतीय स्थान हासिल कर अपने गांव व जिला जींद का नाम रोशन किया है। अपनी सफलता पर गीता ने बताया कि उसने पहली से 12वीं कक्षा की पढ़ाई अपने नाना एवं गांव खरल वासी धूप सिंह के पास रहकर की थी। उसके पिता कृष्ण ने गांव खरल स्थित कन्या गुरूकुल वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल में दाखिला करवा दिया था। आरंभ में वह पढ़ाई में कमजोर रही है, लेकिन स्कूल की अध्यापिकाओं ने उसको हमेशा ही प्रोत्साहित किया। उसने 10वीं कक्षा में 485 अंक प्राप्त किये थे, लेकिन उसको लगता था, कि उसके अंक कम आये हैं। इसलिए उसने 11वीं कला संकाय मेें दाखिला लिया, जहां उसने अंग्रेजी, हिंदी, संस्कृत, राजनीतिक विज्ञान, गणित और शाररिक शिक्षा विषय का चयन किया। उसकी राजनीतिक विज्ञान की प्राध्यापिका प्रेमलता ने उसको हमेशा आगे बढऩे के लिए प्रेरित किया। जिसकी वजह से उसने केवल 5-6 घंटे की पढ़ाई करते हुए लक्ष्य को ध्यान रखा। यही कारण है कि वह तृतीय स्थान हासिल कर सकी। उसने बताया कि उसका अगला लक्ष्य सिविल सर्विस की परीक्षा पास कर देश सेवा करना है, जो वह प्राप्त करके रहेगी। गीता ने बताया कि वह अपनी सफलता का श्रेय राजनीतिक विज्ञान की प्राध्यापिका प्रेमलता, गणित की आशा, अंग्रेजी की बनिता, हिंदी की मधु, संस्कृत की गीता, शारीरिक शिक्षा की मुकेश को देना चाहती हूं, जिन्होंने हमेशा उसका मार्गदर्शन करती रही।
राजनीतिक विज्ञान है गीता का मनपंसद विषय
गीता ने बताया कि उसके सभी विषय ही मनपसंद रहे हैं, लेकिन उसका विशेष विषय राजनीतिक विज्ञान रहा है। राजनीतिक विज्ञान की प्राध्यापिका प्रेमलता को वह अपना आदर्श मानती हैं, जिन्होंने उसको किसी भी विषय को गंभीरता से न लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि पढ़ाई को बोझ नहीं समझना चाहिए, बल्कि इसको एक खेल की तरह लो, जिससे वह अपना निशाना साध सके। गीता ने अंग्रेजी मेें 94 अंक, हिंदी में 99, संस्कृत में 98, राजनीतिक विज्ञान मेें 85, गणित में 100, शारीरिक विषय में 100 अंक प्राप्त किये हैंं।
अनुशासन व लग्नशील छात्रा रही है गीता
राजनीतिक विज्ञान की प्राध्यापिका पे्रमलता ने बताया कि गीता आरंभ से ही अनुशासन प्रिय व लग्नशिल छात्रा रही है। उसको जो बात एक बार बता दी जाती थी, वो उसको मन में बैठा लेती थी। जिससे उसको बार-बार समझाने की आवश्यकता नहीं रहती थी। गीता बताती थी कि उसके दसवीं कक्षा में कम अंक आये हैं, लेकिन वो 12वीं कक्षा में अच्छे अंक लेकर आयेगी। यही कारण है कि अव्वल रहने की चाह ने उसको इस मुकाम पर पहुंचा दिया।
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