सत्य खबर,चंडीगढ़
किसान को अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए केवल अनाज उत्पादन तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि फू ड प्रोसेसिंग भी अपनाना होगा। फू ड प्रोसेसिंग अपनाकर किसान अच्छी-खासी आमदनी ले सकते हैं। इस प्रकार किसान प्रगतिशील सोच को अपनाकर ही आर्थिक खुशहाली की ओर अग्रसर हो सकते हैं । यह कहना है प्रदेश के कृषि एवं पशुपालन मंत्री जेपी दलाल का। कृषि मंत्री दलाल का कहना है कि पंजाब व हरियाणा के 75 फीसदी किसानों के पास पांच एकड़ से कम जमीन है और उनमें भी 70 फीसदी से अधिक किसान गेहूं व धान के परंपरागत फसलचक्र में फंसे हुए हैं। इस चक्र के विपरित सब्जियों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा की भावांतर योजना के तहत सरकार किसानों को सब्जियों के भाव बाजार से कम होने पर भाव के अंतर की भरपाई कर रही है। धान जैसी पानी की अधिक खपत वाली परंपरागत फसल के चक्र से किसानों को मक्का की खेती की ओर बढ़ाने के लिए 7000 रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जा रही
उन्होंने कहा कि सरकार किसानी के ऐसे नए प्रयोगों को बढ़ावा देना चाहती है जिससे किसान की आय वृद्धि के नए तरीके और नए मॉडल विकसित हो सकें। उन्होंने कहा कि बढ़ती जनसंख्या और तेजी से शहरीकरण-औद्योगिकीकरण के बीच खेती की जमीन का कम होना भी एक चुनौती है। उन्होंने कहा कि छोटी जोत के किसानों के लिए मधुमक्खी पालन वरदान है। हरियाणा किसान आयोग की 2017 की एक रिपोर्ट मुताबिक राज्य के करीब 5000 गांवों के किसान सालाना 4000 टन शहद उत्पादन कर रहे हैं। सालाना 50 लाख रुपए के शहद का कारोबार करने वाले यमुनानगर के एक छोटे से किसान का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मार्च को 75वीं मन की बातष् में जिक्र कर देश के किसानों को उद्यमशीलता की ओर बढाने का संदेश दिया है। किसानों को शहद उत्पादन, प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग की ट्रेनिंग और उपकरणों की खरीद के लिए 50 फ ीसदी तक सब्सिडी दी जा रही है। हरियाणा सरकार यमुनानगर में जल्द ही शहद मंडी भी शुरु करेगी।
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कृषि मंत्री का कहना है कि खेत से खाने की थाली तक एक किसान और आखिरी उपभोक्ता के बीच खाद, बीज, कीटनाशक, कृषि उपकरण कंपनियां समेत प्रोसेसर, पैकेजिंग, ट्रांसपोर्टर्स, होल-सेलर्स, रिटेलर्स और रेहड़ी-फ ड़ी वालों मिलाकर करोड़ों कारोबारी आगे बढ़ रहे हैं तो धरती पुत्र किसान आगे क्यों नहीं बढ़ सकता। उपज के बदले में किसान को लागत पर कुछ कमाई होती है पर प्रोसेसिंग कंपनियां और उनके डीलर्स आखिर उपभोक्ता को बेच कर अधिक मुनाफे में हैं। आलू, टमाटर, मक्का से किसान को लागत पर 30 फ ीसदी तक कमाई हो सकती है जबकि इन्हीं उपज की चिप्स,चटनी और पॉपकॉर्न के रुप में प्रोसेसिंग करने वाले उद्यमियों का मुनाफ ा 300 फीसदी तक है। किसानों से 10 रुपए प्रति किलो खरीदा गया आलू चिप्स बनकर आखिरी उपभोक्ता तक 300 रुपए किलो बिक रहा है। उत्पादक ;किसानद्धऔर उपभोक्ता के बीच की खाई में जो मुनाफा बिचौलिए उद्यमी पा रहे हैं। वह किसान भी कमा सकता हैद्ध यदि वह खुद को प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और मार्केटिग के लिए भी तैयार कर ले यह तभी संभव हो सकता है।
दलाल का कहना है कि वे भी एक किसान हैं, बड़े पैमाने पर उन्नत खेती उद्यमशीलता से कर रहे हैं। उन्होंने किसानों को सलाह देते हुए कहा है कि किसान अपनी आय बढ़ाने के लिए उद्यमशीलता को अपनाएं। किसान की उपज पर फैले कारोबार से जब सैंकड़ों उद्यमी खासा मुनाफा कमा रहे हैं तो किसान भी परपंरागत खेती से आगे निकल उद्यमी बनने की सोचे । हरियाणा सरकार कृषि उत्पादों पर आधारित ग्रामीण इलाकों में गोदामए खाद्य प्रसंस्करण और पैकेजिंग जैसे उद्यमों को विकसित करने पर जोर दे रही है। खाद्य प्रसंस्करण के ट्रेनिंग सेंटर भी कुरुक्षेत्र, जींद और सिरसा में स्थापित किए गए हैं।
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