सत्यखबर निसिंग (सोहन पोरिया) – अगेती गेंहू की फसल में उगे अनावश्यक घास के पौधों की रोकथाम के लिए किसान खरपतवार रोधी दवाईयों का छिडक़ाव कर रहे है। ताकि समय पर खपतवारों को नियंत्रित कर फसल की अच्छी पैदावार ली जा सके। मौसम फसल के पौधों में फुटाव का चल रहा है। फसल जमाव के साथ व पहली सिंचाई के बाद उगे खरपतवार के पौधे भी फुटाव पर है। जिन्हें नियंत्रित करने का उचित समय चल रहा है। कुछ किसान फसल में खरपतवार रोधी दवाईयों के छिडक़ाव में जुटे है। ताकि फसल उत्पादन प्रभावित न हो।
किसान साहब सिंह, मामूराम, नरेश कुमार व रामभज शर्मा का कहना है कि फसल में खड़े खरपतवार अभी छोटे है। जिन्हें दवाईयों के छिडक़ाव से सहज नष्ट किया जा सकता है। खरपतवार बढऩे पर उनकी रोकथाम पर अत्यधिक खर्च कर नष्ट करना पड़ेगा। नियंत्रण में देरी से फसल की पैदावार में घटौतरी से आर्थिक हानि होगी। खरपतवार के पौधों में फुटाव बढऩे पर फसल में डाली गई खुराक खरपतवार चट कर जाऐगें। जिससे उचित खुराक के अभाव में फसल के पौधों में कम फुटाव होने से नुकसान होगा।
किसान धूप में करें दवा का छिडक़ाव।
खंड कृषि अधिकारी डा. महेंद्र संधू के अनुसार बिजाई के 21 दिन बाद फसल में पहली सिंचाई करे। जबकि बिजाई के 35 दिन के बाद फसल में खरपतवार नाशक दवा का घोल बनाकर साफ मौसम में छिडकाव करें। ताकि धूप में छिडक़ाव से खरपतवार के पौधों पर दवा का पूरा असर होने से अनावश्यक पौधे नष्ट हो सके। किसान फ्लैट फेन नोजल से छिडक़ाव करें। स्प्रे करते समय नोजल को फसल से एक फुट ऊंचा रखें।
इन दवाईयों का करें छिडक़ाव
कृषि विकास अधिकारी डा० राधेश्याम गुप्ता ने बताया कि गुल्ली डंडा व जंगली जई की रोकथाम हेतु किसान प्रति एकड़ कलोडिनो फोफ 15 प्रतिशत ईसी या सल्फोसलफयूरान 75 प्रतिशत ईसी या फिनोकसाप्रोप 10 प्रतिशत या पिनोकसाडैन 5 प्रतिशत ईसी का दौ सौ लीटर पानी में घोल बनाकर 15 टंकी प्रति एकड़ में स्प्रे करें। चौडी पत्ती वाले खरपतवार कंडाई, हिरणखुरी, पालक व जंगली मटर सहित अन्य पर नियंत्रण के लिए टूफोरडी सोडियम साल्ट 80 प्रतिशत या टूफोरडी एस्टर अथवा एलग्रीप का छिडक़ाव करें। उन्होंने किसानों से खरपतवार नियंत्रण के लिए फसल में हर वर्ष दवा बदल कर छिडक़ाव करने की सिफारिस की है।।
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