सत्यखबर कैथल (ब्यूरो रिपोर्ट) – हरियाणा में सबसे अलग और अनोखी है कैथल की लोहार मार्केट। वैसे तो सभी शहरों में लोहार की दुकानें होती है जिस पर किसानों के कृषि औज़ार बेचे जाते हैं ।परंतु हरियाणा में सिर्फ कैथल ही ऐसा शहर है जहां एक साथ काफी लोहार दुकाने इस मार्केट में बनी हुई है। इसकी विशेषता यह है कि यह मार्केट लगभग 60 साल पुरानी है और आज भी इसमें ऐसे कारीगर काम कर रहे हैं जो लगभग पिछले 50 वर्षों से हाथ की दस्तकारी का हुनर बनाए हुए हैं। किसान आज भी इनके हाथों से बने कृषि औजारों को प्राथमिकता देते हैं। और उन्हें बाजार के रेडीमेड औजारों की अपेक्षा ज्यादा उपयोगी मानते हैं। आज हमने इस मार्किट का दौरा किया और देखा कि किस तरह के लोग अपना पसीना बहा कर काम करते हैं।
हमने यहां 50 वर्ष से काम कर रहे हैं कारीगर जय किशन से बात की पहले तो बड़े खुश हुए कि उनकी बात भी कोई सुनना चाहता है। उन्होंने बताया कि वह पिछले 50 वर्षों से यह काम कर रहे हैं और उनके बनाए औजार लोग काफी पसंद करते हैं। क्योंकि वह अधिक तापमान पर लोहे को गर्म करके औजार बनाते हैं जिससे उनकी औजार लंबे समय तक चलते हैं। उन्होंने खुश होते अपने हाथ की हजारों को हमें दिखाया औजारों में कुल्हाड़ी कशी चिमटा पलटा हलवाई की औजार माली के औजार और खेतों में काम करने वाले औजार जो उन्होंने खुद अपने हाथों से बनाए थे।
हमें दिखाएं और बताया कि इनकी गुणवत्ता मशीन के बने हजारों से ज्यादा है परंतु नई पीढ़ी इस काम को नहीं सीख रही है। क्योंकि अब यह मुनाफे का काम नहीं रहा हमने कुछ और कारीगरों से भी बात की उनका भी यही मानना था की मशीनी औजार हाथ के बने हजारों पर भारी पड़ रही है। धीरे-धीरे यह कला विलुप्त होती जा रही है इन लोगों का मानना है कि जिस तरह सरकार किसानों के बारे में सोचती है।
इसी तरह इन कारीगरों के बारे में भी सोचे जैसे इनको लोन उपलब्ध कराए जाएं इनकी पेंशन की जाए ताकि आने वाली पीढ़ी को भी इस काम में ला सके। और भारत की है पुरानी कला जीवित बनी रहे अन्यथा समय के साथ यह कला विलुप्त हो जाएगी क्योंकि यह लोग आग में तप कर लोहे को उजार बनाते हैं और यह औज़ार हमारी परंपरा को भी दर्शाते हैं और किसानों को भी यह औज़ार पसंद आते हैंहरियाणवी में कहावत है हाथ की बनी चीज की तो बात ही कुछ और है ।
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