सत्यखबर जींद (इंदरजीत शर्मा) – रियल बायो ग्रीन एग्रो के एमडी जगमहेंदर ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि संस्था हरियाणा के अंदर काफी समय से कार्य कर रही है। जिसमें मुख्य रूप से किसानों को जैविक खेती के बारे में जागरुक करते हैं और गांव-गांव जाकर जाकर जहर रहित खेती के बारे में जानकारी देते हैं। हरियाणा की खेती में दवाइयों के नाम पर जो जहर डाला जाता है उसके कारण दमा, कैंसर, हृदय रोग आदि आदि जैसी भयंकर बीमारियां फैल रही है। ऐसी बहुत सारी कंपनियां हैं जिनको बार सरकार ने बेन कर दिया है बहुत ऐसी जहरीली दवाइयां है जिनके कारण हरियाणा की भूमि बंजर होती जा रही है और खेती घाटे का सौदा हो गई है। जिसके कारण बहुत सारे किसान आत्महत्या कर रहे है।
अगर हम 1980 की बात करें तो तो किसानों के ऊपर तो किसानों के ऊपर कोई कर्ज नहीं था और किसान खुश था उदाहरण के लिए हम अगर बात करें 1980 85 में 1 एकड़ में गेहूं मुश्किल से 25 से 30 मन होती थी अगर आज की बात करें तो 1 एकड़ में बात करें तो 1 एकड़ में 50 से 60 मन गेहूं की पैदावार होती है यानी किसान की पैदावार दोगुनी हो गई है फिर भी किसान कर्ज वान होता जा रहा है इसके पीछे का कारण किसान का सारा पैसा विदेशी कंपनियों में चला जाता है भारत में कीटनाशक दवाइयां बेचती है हरियाणा के अंदर कीटनाशक खाद्य व दवाइयों को प्रति बंधित किया जाना चाहिए क्योंकि आज हरियाणा का किसान सिक्किम जैसे प्रदेश से प्रेरित हो रहा है और स्वय अपनी जैविक खाद व दवाइयों कम लागत पर घर पर तैयार कर सकता है।
किसान के हालात को देखते हुए हम लोगों ने जैविक खेती के बारे में किसानों को जागरूक करना शुरू किया और बहुत सारे किसान हरियाणा में जागरूक हो रहे है और उन्होंने जैविक खेती करना भी शुरू कर दिया है इसी संदर्भ में हमने सोमवार उन किसानों को सम्मानित करने का निर्णय लिया है हरियाणा के अलग-अलग 18 से 20 जिलों के किसान भाग लेंगे। नागरिक अस्पताल के डिप्टी एमएस डा. राजेश भोला ने कहा कि खतरा केवल रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बढ़ते प्रयोग से ही नहीं है बल्कि खाद्य पदार्थों में जिस तरह मिलावट का धंधा फल-फूल रहा है वह मानवीय स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा बन गया है। सब्जियों में जहरीले रसायनों की संख्या दिन प्रतिदिनन बढ़ रही है।
अधिक पैदावार के लिए आक्सीटोक्सिन इंजेक्शन का प्रयोग किया जा रहा है। जोकि स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। जब तक हम प्राकृतिक संसाधनों के अविवेकपूर्ण दोहन पर विराम नहीं लगाएंगे तब तक पर्यावरण संरक्षण की उम्मीद करना बेमानी होगा। इसलिए किसानों को जैविक खेती की तरफ अग्रसर होना चाहिए और रसायनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा आक्सीटोक्सिन इंजेक्शन पर बैन भी लगा दिया गया है। बस जरूरत है तो जागरूक होने की। अगर किसानों में रसायनिक उर्वरकों के अधिक प्रयोग से होने वाले दुष्प्रभाव को लेकर जागरूकता आ गई तो वो दिन दूर नहीं जब फिर से मनुष्य को सब प्राकृतिक तौर पर मिलने लगेगा।
इस मौके पर पूर्व मार्केट कमेटी चेयरमैन रामचंद्र यादव, राजकुमार भोला, मनजीत भौंसला, मनजीत, सुमित सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद रहे।
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