पलवल, मुकेश बघेल
पलवल ज़िले के सिकन्दरपुर गाँव (पृथला खंड) में किया गया। इस आजीविका और उद्यमशीलता विकास कार्यक्रम (एलईडीपी) के तहत स्वयं सहायता समूहों की 90 महिला सदस्यों को सुजनी शिल्प और जयपुरी रज़ाई में गहन प्रशिक्षण दिया गया। सुजनी बंगाल के कान्था की तरह का शिल्प है, जिसमें धागों से कपड़ों पर विभिन्न प्रकार के मोटिफ बनाए जाते हैं। तीन माह तक चली इस परियोजना का कार्यान्वयन नाबार्ड के सहयोग से अभिव्यक्ति फाउंडेशन नामक गैर सरकारी संगठन द्वारा किया गया। यह प्रशिक्षण दिल्ली के ट्रेनर श्री मनोहरलाल की देख-रेख में दिया गया, जो सुजनी और जयपुरी रज़ाई के विशेषज्ञ हैं।
गौरतलब है कि पलवल ज़िले के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास और आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त करने के लिए राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने अनेक कदम उठाए हैं। नाबार्ड जहां एक ओर ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तीकरण के लिए स्वयं सहायता समूहों को बैंकों से जोड़ने की मुहिम चला रहा है, वहीं दूसरी ओर इसने किसानों, महिलाओं और ग्रामीण कारीगरों की आमदनी में इज़ाफ़ा करने के लिए कृषि और कृषीतर क्षेत्रों में विभिन्न परियोजनाएं मंजूर की हैं। किसानों, कारीगरों और ग्रामीण उद्यमियों के उत्पादों की मार्केटिंग सुनिश्चित करने के लिए नाबार्ड ने हाल ही में पलवल ज़िले के अमरौली गाँव में ग्रामीण हाट की परियोजना मंजूर की है। नाबार्ड की सहायता से अभिव्यक्ति फाउंडेशन नामक गैर सरकारी संगठन और ग्राम पंचायत मिलकर इस हाट को परिचालित करेंगे, जहां किसान और कारीगर अपना सामान बेचने में सक्षम होकर अपनी आय में वृद्धि कर सकेंगे। नाबार्ड के सहयोग से बनचारी स्थित स्वयं सहायता समूह “नई रोशनी” द्वारा पलवल में एक रूरल मार्ट भी चलाया जा रहा है, जहां स्वयं सहायता समूहों के उत्पाद, जैसे टेराकोटा, जूट बैग, सजावटी सामान, आदि की सफलतापूर्वक बिक्री हो रही है।
ग्राम सिकंदरपुर में आजीविका और उद्यमिता विकास कार्यक्रम के समापन-समारोह के उपलक्ष्य में स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों के लिए एकदिवसीय नेतृत्व विकास कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम में नाबार्ड के सहायक महाप्रबंधक (ज़िला विकास) श्री सुबोध कुमार, ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी), रतीपुर, पलवल के निदेशक श्री अजय अग्रवाल और सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक, दुधौला शाखा की शाखा प्रबन्धक सुश्री संतोष सिंघल उपस्थित थे।
इस अवसर पर नाबार्ड के सहायक महाप्रबंधक (जिला विकास) श्री सुबोध कुमार ने स्वयं सहायता समूह कार्यक्रम के उद्देश्यों पर चर्चा करते हुये ग्रामीण महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में इस कार्यक्रम की क्रांतिकारी भूमिका को रेखांकित किया। उन्होने नियमित बचत, नियमित बैठक, ऋण अनुशासन और आय-अर्जक आर्थिक गतिविधि को अच्छे समूह की प्रमुख विशेषता बताया। श्री सुबोध कुमार ने महिलाओं के आर्थिक स्वावलंबन के लिए समूहों द्वारा बैंक ऋण के माध्यम से स्वरोजगार और आर्थिक उद्यम चलाने पर विशेष ज़ोर दिया। श्री सुबोध कुमार ने समूहों से अनुरोध किया कि वे अपने आर्थिक और सामाजिक सशक्तीकरण के लिए ठोस कार्ययोजना बनाएँ और उसका पूरे मनोयोग से पालन करें। कार्यक्रम में स्वयं सहायता समूह की कार्यप्रणाली, समूह की बैठकों, बही खातों के रख-रखाव और नेतृत्व तथा उद्यमशीलता पर प्रतिभागियों का विस्तृत मार्गदर्शन किया गया।
कार्यक्रम में सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक, दुधौला शाखा की शाखा प्रबन्धक ने महिलाओं से उद्यम वृत्ति अपनाने और बैंकों की योजनाओं का लाभ लेने की अपील की। उन्होंने बैंक की तरफ से समूहों को हर प्रकार के सहयोग का आश्वासन दिया। आरसेटी के निदेशक श्री अजय अग्रवाल ने समूहों के सदस्यों से आग्रह किया कि वे अपने भीतर हुनर और कौशल का विकास करें और स्वरोजगार की ओर कदम बढ़ाएँ। उन्होने आरसेटी द्वारा चलाये जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमों के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी और समूहों को बैंकों की योजनाओं से अवगत कराया।
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