सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 सरकार द्वारा कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए बनाया गया था, ताकि इस अधिकार के अंतर्गत देश का कोई भी नागरिक किसी भी सरकारी कार्यालय से सूचना मांग सके। लेकिन जन सूचना अधिकारी इस एक्ट की धज्जियां उड़ाते प्रतीत होते हैं, जिससे सूचनाकत्र्ता हताश होकर सूचना मांगने की हिमाकत ना करे। इसका एक उदाहरण आरटीआई कार्यकर्ता मनदीप का दिया जा सकता है। सूचनाकर्ता मनदीप ने लगभग दो सप्ताह पहले जन सूचना अधिकारी एवं सीडीपीओ-द्वितीय नरवाना से कुछ बिंदुओं पर सूचना मांगी थी, तो जन सूचना अधिकारी कार्यालय से कर्मचारी बलवान सिंह ने सूचना भेजने के नाम पर आरटीआई कार्यकर्ता से पहले पंजीकृत डाक खर्च जमा करवाने के लिए फोन किया। जो कि सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की सरासर उल्लंघना है। इस पर आरटीआई कार्यकर्ता मनदीप का कहना है कि जब उन्होंने पंजीकृत डाक द्वारा अपना खर्च करके सम्बन्धित विभाग से सूचना मांगी थी, तो जन सूचना अधिकारी उनसे डाक खर्च जमा करवाने की किस कानून के अधीन मांग कर रहे हैं। इसके लिए वह राज्य सूचना आयुक्त को लिखेंगे और अपना अधिकार पाने के लिए न्याय की मांग करेंगे।
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