तरावड़ी, रोहित लामसर
तरावड़ी की निर्मल कुटिया को गिराए जाने के मामले को लेकर करनाल की एक अदालत ने उस फैसले पर रोक लगा दी है। जिस पर प्रशासन को निर्मल कुटिया की दिवार गिराए जाने के निर्देश दिए गए थे। न्यायाधीश ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि निर्मल कुटिया के रास्ते की फिर से निशानदेही भी करवाई जाएं। यह निशानदेही अब जी.पी.एस माध्यम से होगी। इस मामले में गांव लल्याणी की पंचायत ने आज ही सीनियर डिवीजन अतिरिक्त सिविल जज मैडम शिखा की अदालत ने याचिका दायर की थी। अदालत ने आज ही उस याचिका पर सुनवाई करते हुए दोनो पक्षों को अदालत में बुला लिया। पंचायत की और से बहस कर रहे वकील जय प्रकाश काम्बोज ने अदालत में कहा कि यदि आज ही इस मामले की सुनवाई नहीं हुई तो प्रशासन कल ही दीवार को तोड़ देगा। बता दें कि निर्मल कुटिया की दीवार गिराने को लेकर नीलोखेड़ी तहसील के अधिकारी डयूटी मैजिस्ट्रेट नियुक्त करवाने के लिए आज ही डी.सी कार्यालय पहुंच गए थे। ताकि शुक्रवार को पुलिस फोर्स लेकर डयूटी मैजिस्ट्रेट के नेतृत्व में निर्मल कुटिया की दीवार को गिराया जा सके। अदालत ने मामले की गंभीरता को समझते हुए 29 मई तक के लिए किसी भी कार्रवाई करने को लेकर रोक लगा दी है।
जी.पी.एस. माध्यम से होगी कच्चे रास्ते की निशानदेही :- अदालत ने यह भी निर्देश दिए है कि 29 मई से पहले प्रशासन फिर से जी.पी.एस माध्यम से इस कच्चे रास्ते की निशानदेही करें ताकि 29 मई को फिर से इस मामले की सुनवाई की जा सके। बता दें कि निर्मल कुटिया गांव लल्याणी की हद में आती है। इसलिए पंचायत ने अदालत के समक्ष कहा कि जब पैमाइश की जा रही थी तो पंचायत को नहीं बुलाया गया था। क्योंकि यह तरावड़ी और लल्याणी की हद में पड़ती है। बता दें कि इस मामले में करनाल की ही एक अदालत ने निर्मल कुटिया की दिवार 31 मई से पहले गिराने के निर्देश दिए थे। जिसके लिए नीलोखेड़ी प्रशासन ने कल यानि शुक्रवार को दिवार गिराए जाने की तैयारी की हुई थी। बाद में अदालत के आदेशा की कॉपी नीलोखेड़ी तहसीलदार प्रशासन और तरावड़ी पुलिस को भी दे दी गई है।
यह है मामला :- काबिलेगौर है कि जिस दीवार को गिराने के आदेश दिए गए थे। वहां गुरु घर बना हुआ है। जो काफी वर्षो पुराना है। लेकिन तरावड़ी के ही एक उद्योगपति ने अदालत में कहा था कि जिस जगह पर दीवार बनी हुई है। वह भूमि उनकी है। इस मामले को लेकर गांव और आस-पास के क्षेत्र में तनातनी बनी हुई थी। क्योंकि सिख समाज के लोग इस मुद्दे को अपने गुरु के अपमान के साथ जोडक़र इसका विरोध कर रहे थे। सिख समुदाय के लोगों में इस बात को लेकर भारी रोष भी था। फिलहाल अदालत के निर्णय से कम से कम तरावड़ी पुलिस ने राहत की सांस ली है।
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