सत्य खबर,नई दिल्ली(ब्यूरो रिपोर्ट)
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे सियासी दलों में हलचल भी तेज हो चुकी है। इसी क्रम में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जेपी अग्रवाल पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे बताए जा रहे हैं। दरअसल, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के निधन के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद खाली है। अग्रवाल उम्र के 74 पड़ाव पार कर चुके हैं और ऐसे में उनकी उम्र अध्यक्ष बनने की राह में रुकावट पैदा कर सकती है। हालांकि, सियासत में उनका लंबा अनुभव और उपलब्धियां, उन्हें प्रदेश कांग्रेस में सर्वेसर्वा बनने को आसान बना सकती हैं। बता दें कि पहले भी 2007 में वो इस पद की जिम्मेदारी बेहतर तरीके से संभाल चुके हैं और साथ ही वो कांग्रेस के टिकट पर चार बार लोकसभा चुनाव भी जीत चुके हैं।
जानकारी के लिए बता दें कि जेपी अग्रवाल तीन बार चांदनी चौक और एक बार पूर्वी दिल्ली से चुनाव जीता था।दिल्ली से 1984, 1989, 1996 और 2009 में लोकसभा चुनाव जीत चुके जेपी अग्रवाल को 2006 में राज्यसभा सदस्य भी चुना जा चुका है। इतना ही नहीं 1983-84 में वह डिप्टी मेयर भी रह चुके हैं। वह 1992 में प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष भी रहे थे और उनके अनुभव और उपलब्धियों से साफ है कि वह दिल्ली की सियासत को अच्छे से समझते हैं और यही वजह है कि उन्हें कई खेमों में बंटी कांग्रेस को फिर से संभालने की जिम्मेदारी दी जा सकती है।
वरिष्ठ नेता जेपी अग्रवाल को 1992 में ही ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी का सदस्य भी बनाया गया था। उन्हें संगठन में कार्य करने की बेहतर शैली के लिए पहचाना जाता था और गांधी परिवार के विश्वासपात्र माने जाने वाले जेपी की कैमिस्ट्री शीला दीक्षित से भी अच्छी रही है। इसलिए शीला दीक्षित जब दिल्ली की राजनीति में चरम पर थीं तो उन्होंने जेपी अग्रवाल को 2007 में प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनवाने में अहम भूमिका निभाई थी। तो कुल मिलाकर कह सकते हैं कि अग्रवाल 35 साल प्रदेश की राजनीति में अहम किरदार निभा चुके हैं।
तो वहीं लोकसभा चुनाव 2019 में चंदनी चौक से मैदान में उतरे जेपी अग्रवाल के लिए हारना निराशजनक जरूर रहा है, लेकिन राजनीति के उबड़-खाबड़ रास्तों पर गिरने के बाद संभलने की कला में उन्हें महारत हासिल है।
Scrap aluminium licensing Scrap aluminium compounding Scrap metal decommissioning