सत्यखबर, सतनाली मंडी (मुन्ना लाम्बा) – कुम्हारी चाक की मंद रफ्तार को गति देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहल तो की थी, लेकिन अफसोस की प्रजापति समाज के विकास के लिए किए गए इस सरकारी प्रयास को सिस्टम ने थाम रखा है। प्रधानमंत्री के आदेश के बावजूद भी पिछले चार वर्ष में कुम्हारी मिट्टी के बर्तन बनाने को न तो निकायों में मुफ्त मिट्टी उपलब्ध कराई गई और न ही सरकारी कार्यालयों ने मिट्टी के बर्तन खरीदने की पहल की।
आज भी देश प्रजापति शिल्पकारों के द्वारा बनी हुई स्वदेशी वस्तुओं की अनदेखी हो रही है। देश व प्रदेश के सरकारी विभागों में भी खूबसूरत डिजाइन वाले बोन चाइना से बने कपों में चाय की चुस्की व फूलों को सजाने के लिए गमले आदि वस्तुएं प्रयोग में ली जा रही है। परंतु इस दीपावली पर्व पर प्रजापतियों में खुशी की लहर है। देश में चाईनीज वस्तुओं के बहिष्कार की चल रही लहर का फायदा मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों को भी मिल रहा है। ग्राहकों के लिए तरसते मिट्टी के दीपकों की मांग इस बार दिपावली के अवसर पर बढ़ी है तथा भाव भी अच्छे मिल रहे हैं। ऐसे में कुम्हारों के चेहरे खिल गए हैं और वे रात-दिन दीपक बनाने में जुटे हैं।
दीवाली के त्यौहार पर कुम्हारों को अच्छी बिक्री की उम्मीद हर साल होती थी, लेकिन इस बार बढ़ी मांग ने कुम्हारों के चेहरे पर रौनक ला दी है। मिट्टी के दीपक, कलश सहित अन्य सामान बनाकर बिक्री के लिए कुम्हार रात-दिन एक कर अपने काम में जुटे हुए हैं। हर साल मांग कम और उत्पादन ज्यादा होता था लेकिन इस बार स्थिति बिल्कुल विपरित है। कुम्हारों के पास मांग ज्यादा व उत्पादन कम हो रहा है। यही कारण है कि इस बार दिपावली पर्व पर कुम्हारों को दीपकों के अच्छे दाम मिल रहे हैं। कुम्हारों का मानना है कि चाईनीज वस्तुओं के बहिष्कार की लहर का फायदा मिट्टी का काम करने वाले कारीगरों को मिला है।
विदेशी से कुरहेज, हो स्वदेशी से हेज
सतनाली क्षेत्र के दर्जनों गांव के कुम्हारों ने बताया कि दीपावली पर्व पर जब से चाईनीज वस्तुएं आई हैं तब से बीते साल-दर-साल से मिट्टी का धंधा मिट्टी में ही मिलता जा रहा था। मिट्टी लेकर आने व उसे रूप देने में जो मेहनत होती थी, उसका फायदा भी नहीं मिल पाता था। इस साल चाईनीज वस्तुओं के बहिष्कार की जो मुहिम चली है, उससे यहां बहार आ गई है तथा मिट्टी का भाव भी तेज हुआ है।
स्वदेशी के प्रति सरकार उठाए ठोस कदम
इस बारे में गांव बारड़ा निवासी प्रजापति झब्बू राम, प्रताराम, रामौतार, लालचंद, मेदाराम, रामचंद्र आदि ने बताया कि स्वदेशी के प्रति सरकार को अनेक ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि हाथ के गरीब कारीगरों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिल सके। उन्होंने कहा कि अगर विदेशी वस्तुओं पर पूर्णत: रोक लगानी है तो सरकार व आमजन को आगे आकर देश के कारीगरों को प्रोत्साहित करना होगा। इसके साथ-साथ जिन गरीब लोगों ने दो वक्त की रोटी के लिए अपना परंपरागत व्यवसाय अपना रखा है, उन लोगों के लिए भी सरकार द्वारा अनेक योजनाएं बनानी चाहिएं ताकि उन्हें अन्य रोजगार प्राप्त हो तथा हमारे देश में बड़ी संख्या में वस्तुएं बनाई जा सकें।
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