सत्यखबर कैथल (ब्यूरो रिपोर्ट) – ऐसी ही एक खिलाड़ी के पास हमारी टीम पहुंची जिसका नाम आशा रानी है और वह जूडो व कुरास दो खेल खेलती है दोनों खेलों की ड्रेस ओर मापदंड एक जैसे ही होते हैं इसलिए वह दोनों खेलों में अपनी रुचि बनाए हुए हैं। आशा जूडो में कहीं बार राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी है और हरियाणा का प्रतिनिधित्व कर चुकी है जिसमे उसने स्कूली स्तर पर कई राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुकी है।
आपको बता दें आशा रानी के पिताजी की मृत्यु उसमें हो गई थी जब वह मात्र 6 वर्ष की आयु में थी। उस समय मानव उसके परिवार के ऊपर एक आपदा गिर गई हो। उसके बाद परिवार का गुजारा चलाना बहुत मुश्किल हो गया पिता की मृत्यु के बाद आशा की माता की सेहत भी खराब रहने लगी। आशा के पिता की मृत्यु एक लंबी बीमारी के चलते हुई थी। आशा का खेल में जाना शुरू से ही एक मन में विचार था। तो उसने खेलना शुरू किया। लेकिन परिवारिक स्थिति अच्छी ना होने के कारण उसने खेल खेलना बीच में ही छोड़ दिया। आशा के परिवार में एक भाई एक बड़ी बहन व माता है। बड़ी बहन ने छोटी बहन की लगन को देखते हुए उसको दोबारा फिर खेलने के लिए प्रेरित किया और अपने खर्च पर दोबारा खेल में डाला।
अब आशा b.a. द्वितीय वर्ष की छात्रा है जैसे जैसे मैं खेलती गई वह खिलाड़ी जिला स्तर से नेशनल स्तर पर पहुंच गई अब वह कुरास खेल में थाईलैंड खेलने के लिए जा रही है जिसमें उसको अंतरराष्ट्रीय स्तर की ख्याति भी प्राप्त हो जाएगी। जूडो में 12 व 13 जून को भोपाल में जूनियर एशियन चैंपियन सिलेक्शन के लिए आशा जाएंगी। आशा के सामने खेलते हुए एक समस्या यह थी कि वह एक गरीब परिवार से संबंध रखती थी । परिवार में कमाने वाला कोई नहीं था उसने अपने खेल को सुचारू रूप से जारी रखने के लिए एक भैंस रखी हुई है। जिसका दूध बेचकर वह पैसे कमाती है और उन पैसों से वह अपने खेल को आगे बढ़ाने के लिए एक गति देती है।
उसकी माता की सेहत खराब होने के कारण अब परिवार का सारा भार आशा के कंधों पर है खेलने के साथ-साथ दर्शकों को अपने परिवार का भी ख्याल रखना पड़ता है और घर के सारे काम काज करने पड़ते हैं।आशा ने बताया कि सरकार द्वारा हमें कोई भी सहायता नहीं मिली हुई जिस पर कि मैं खिलाड़ी हूं उस स्तर पर सरकार को मैरिज है तो जरूर करनी चाहिए अगर सरकार मेरी सहायता करेगी तो मैं तभी अपने जिले व प्रदेश का वह देश का नाम विश्व के पटल पर चमकाने का काम करूंगी।
आशा की माता ने बताया कि आशा को खेलने में बहुत ज्यादा रुचि है तभी उसको खेलों में डाल रखा है कई बार समस्या आती है क्योंकि परिवार में कमाने वाला कोई नहीं है और पैसों की समस्या सबसे ज्यादा रहती है। क्योंकि अगर कहीं भी प्रतियोगिता खेलने के लिए जाना होता है तो अपने खर्चे के लिए पैसे मिलना भी बहुत मुश्किल होता है। साथ में उन्होंने बताया कि जब आशा छोटी थी तब उसके पिता की एक बड़ी बीमारी के कारण मृत्यु हो गई थी। जिसके बाद परिवार मानव टूट सा ही गया हो । लेकिन अब आशा ने परिवार को एक सहारा दिया। जिससे आशा की माता को आशा पर गर्व है। और उन्होंने भी सरकार से सहायता देने के लिए गुहार लगाई है।
जब आशा के कोच जोगिंदर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि आशा बहुत ही मेहनती खिलाड़ी है।
4 घंटे सुबह और 4 घंटे शाम को मेहनत करती है और लगभग 300 बच्चों में से सबसे अच्छा खेलती है वह कई बार नेशनल स्तर पर खेल चुकी है और कई बार इंटरसिटी भी खेल चुकी है अबुआ कुरास गेम की तरफ से थाईलैंड में खेलने के लिए जाएगी जिसे वह अंतरराष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी बन जाएगी आशा सभी खिलाड़ियों में से अलग इसलिए है क्योंकि वह बहुत ज्यादा मेहनत करती है एक गरीब परिवार से होने के बावजूद उसके मन में एक इस चीज की लगन है कि मुझे अपने परिवार के लिए अपने देश के लिए कुछ करना है तभी वह इतनी मेहनत करती है आशा के कुछ जोगिंदर ने कहा कि आशा एक दिन विश्व में भारत का नाम जरूर रोशन करेगी।
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