सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) – आर्य समाज के प्रांगण में रविवारीय साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया। जिसमें पुरोहित मिथिलेश शास्त्री ने यज्ञ सम्पन्न करवाया व यज्ञमान के आसन पर मा. बलवीर उपस्थित रहे। यज्ञोपरांत धर्मपाल आर्य व आदित्य आर्य ने अपने विचार भजनों व गीतों के माध्यम से दिए।
पुरोहित मिथिलेश शास्त्री ने धर्म के ऊपर विचार प्रकट करते हुए कहा कि धर्म वह है, जो मनुष्य मात्र का कल्याण करने में समर्थ हो, किसी वस्तु या वर्ग विशेष का नहीं। धर्म वह है जो जीवन के सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त करे। बौद्धिक, आध्यात्मिक, शारीरिक, सामाजिक व राष्ट्रीय उन्नति के लिए प्रेरणा दे। जिसमें समानता, एकता, परस्पर प्रेम, सौहार्द, सद्भावना, समदृष्टि उत्पन्न करने की क्षमता हो। जो कर्तव्य पालन के प्रति सचेत करे।
ऐसे धर्म को धारण करके मनुष्य का इहलोक भी सुधर सकता है और परलोक भी। जिससे लौकिक व परलौकिक उन्नति हो वही धर्म है। इस रविवारीय सत्संग में जीवन कुमार, आदित्य आर्य, विजय कुमार, नरेश चंद, राजबीर, आमोद आर्य, उमेश, विनोद, इन्द्रजीत आर्य व धर्मपाल आर्य आदि उपस्थित रहे।
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