सत्यखबर, सफीदों ( सत्यदेव शर्मा )
नगर में वीरवार को भगवान महावीर जयंती महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर नगर में जैन मंदिर से प्रात: विशाल प्रभातफेरी निकाली गई। जिसमें नगर के सैंकड़ों लोगों ने भाग लेकर भगवान महावीर वाणी का गुणगान किया। उसके उपरांत नगर की श्री एसएस जैन स्थानक में ये है महावीर हमारे विषय पर प्रवचन का कार्यक्रम रहा। प्रवचन में जाने-माने जैन संत सत्यप्रकाश मुनि महाराज, प्रवचन प्रभावक समकित मुनि महाराज व सेवामूर्ति संयम मुनि महाराज का सानिध्य प्राप्त हुआ। श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए सत्यप्रकाश मुनि महाराज ने कहा कि महावीर स्वामी अहिंसा के प्रतीक थे और उन्होंने जियो और जीने दो के संदेश को अपनाया। प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है। आनंद बाहर से नहीं आता। शांति और आत्मनियंत्रण ही सही मायने में अहिंसा है। हर जीवित प्राणी के प्रति दयाभाव ही अहिंसा है। घृणा से मनुष्य का विनाश होता है और सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान का भाव ही अहिंसा है। सभी मनुष्य अपने स्वयं के दोष की वजह से ही दुखी होते हैं और वे खुद अपनी गलती सुधारकर प्रसन्न हो सकते हैं। महावीर कहते हैं कि खुद पर विजय प्राप्त करना, लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है। आपकी आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है। असली शत्रु अपने भीतर रहते हैं और वे शत्रु हैं लालच, द्वेष, क्रोध, घमंड और आसक्ति और नफरत। आत्मा अकेले आती है अकेले चली जाती है, न कोई उसका साथ देता है न कोई उसका मित्र बनता है। महावीर हमें स्वयं से लडऩे की प्रेरणा देते हैं। वे कहते हैं कि स्वयं से लड़ो, बाहरी दुश्मन से क्या लडऩा। जो स्वयं पर विजय प्राप्त कर लेगा उसे आनंद की प्राप्ति होगी।
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