- सत्यखबर जींद (ब्यूरो रिपोर्ट) – शहर में लगता है कि नगर पालिका गहरी नींद में सोई हुई है। शहर में बंदरों की निरंतर बढ़ रही संख्या ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है। सुबह से लेकर शाम तक बंदरों की टोलियां गलियों में रहती है। लोगों ने बंदरों के आंतक से बचने के लिए घरों पर बंदर जाल तक हजारों रुपए खर्च करके लगवाए है। बंदरों को पकड़वाने की मांग कई बार शहर के लोग नगर पालिका प्रशासन से कर चुके है लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हो रहा है। बंदरों की संख्या इतनी हो गई है कि सुबह, शाम के समय अकेला राहगीर आ जा नहीं सकता है। लोग घरों के दरवाजे हर समय बंद रखते है। दरवाजा खुला मिलने पर बंदरों की टोली घर में घूस कर सामान उठा ले जाती है। अब तो महिलाओं ने छत्तों पर कपड़े सुखाने तक बंद कर दिए है। बच्चें भी गलियों में बंदरों के डर से खेलना छोड़ गए है।बंदरों से परेशान शहरवासियों ने कहा कि बंदरों की तादाद दिनों-दिन बढ़ रही है। शहर में करीब दो हजार से अधिक बंदरों ने आतंक मचा रखा है। गली हो या माल गोदाम सुबह के समय बंदरों की टोली मिलने से लोग सुबह के समय सैर करना तक छोड़ गए है। बंदरों की टोली अगर आ जाए तो लोगों को मजबूरी में रास्ता बदलना पड़ता है। यहां पर अधिकांश मकानों के मालिकों ने बंदरों से बचने के लिए घरों पर बंदर जाल तक लगवाए है ताकि कम से कम घरों में तो बंदर न घूसे। नगर पालिका सचिव महाबीर सिंह ने कहा कि एनमिल विभाग से बंदरों को पकड़ने की स्वीकृति आ चुकी है। इसको लेकर जल्द कार्रवाई की जाएगी।
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