सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
नरवाना में जहां बेसहारा पशुओं का जाल बिछा हुआ है, वहीं शहर की कॉलोनियों में बंदरों ने भी आतंक मचाया हुआ है। ताज्जुब की बात यह है कि प्रशासन इस ओर आंख मूंदे बैठा है। नगरपरिषद भी गत 30 अक्टूबर से भंग है, तो ऐसे में शहर के लोग अपना दुखड़ा कहां रोए। जबकि सुबह-शाम बंदरों के झुंड के झुंड कॉलोनियों में बेखौफ घूमते रहते हैं। यहां के निवासियों मा. बलबीर, भीम सिंह, गुरूदेव, बलबीर मिस्त्री, श्यामसुंदर अरोड़ा, सनी बत्रा, महेंद्र सिंह आदि का कहना है कि जैसा कि वे सुनते आए हैं कि रात को कभी बंदर घूमा नहीं करते, लेकिन इन बंदरों ने अब रिकॉर्ड ही तोड़ डाला है। यह घरों के छत पर लगी टंकियों के ढक्कन को तोड़ कर फेंक देते हैं और पेड़-पौधों को भी नष्ट करते रहते हैं। जिससे पर्यावरण की सुरक्षा को भी खतरा हो गया है। हद तो तब हो जाती है जब ये बंदर सुबह स्कूल जाने वाले बच्चों को घेर लेते हैं और अभिभावकों को हर समय अपने बच्चों को बंदरों से काटने का डर बना रहता है। लोगों का कहना है कि प्रशासन जल्दी से जल्दी बंदरों को पकडऩे के लिए टेंडर जारी करे, ताकि बेसहारा पशुओं से सताए हुए लोग बंदरों के आतंक से तो बच सकें।
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नगर परिषद भंग होने के कारण बंदरों के टेंडर जारी करने में दिक्कत आ रही है। फिर भी जल्दी ही वे नप के अधिकारियों की बैठक लेंगे और इस समस्या के समाधान बारे उपाय खोजे जाएंगे।
जयदीप कुमार
एसडीएम एवं प्रशासक
नगर परिषद, नरवाना
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