सत्यखबर,जींद (इंदरजीत शर्मा)
नागरिक अस्पताल स्थित प्रशिक्षण केंद्र में वीरवार को सिविल सर्जन डा. संजय दहिया की अध्यक्षता में ट्रेनिंग का आयोजन किया गया। इसमें स्कूल हैल्थ के उप सिविल सर्जन डा. कुलदीप राणा, डा. पालेराम कटारिया, एसएमओ डा. गोपाल गोयल मौजूद रहे। सीएमओ डा. संजय दहिया ने कहा कि कि यह ट्रेनिंग पैदा होने वाले बच्चों के जन्मजात विकृतियां से संबंधित है जिसमें जिला जींद के सभी प्रवर चिकित्सा अधिकारी व चिकित्सा अधिकारियों ने भाग लिया है ताकि वह अपने-अपने क्षेत्र में जन्मजात विकृतियां के साथ पैदा होने वाले बच्चों की समय पर पहचान कर सकें। उन्होंने बताया कि जन्मजात विकृतियों के साथ पैदा होने वाले बच्चों का शरीर गर्भावस्था के दौरान या तो पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता या फिर जन्म के दौरान ऐसे बच्चों में किसी ना किसी तरह का शारीरिक अपंगता देखने को मिलती है। उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार स्वास्थ्य विभाग की तरफ से चलाए जा रहे इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य समय रहते ऐसे बच्चों की पहचान करना व समय पर उनका इलाज करवाना शामिल है ताकि यह बच्चे अपनी आगे की जिंदगी अन्य स्वस्थ बच्चों की तरह जी सकें। स्कूल हैल्थ के उप सिविल सर्जन डा. कुलदीप राणा ने बताया कि जन्मजात विकृतियां उन गर्भवती महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलती है जिनमें इस तरह की वंशानुगत दोष पहले भी देखने को मिले हों या फिर जो माताएं 35 वर्ष की आयु के बाद गर्भधारण करती हैं। ऐसी माताएं जो गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान या एल्कोहल का इस्तेमाल करती हैं। चिकित्सा अधिकारी डा. कुसुम ने बताया कि जन्मजात विकृतियों को रोकने के लिए गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान व गर्भधारण करने से पहले भी नियमित जांच के लिए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र करवाने चाहिए ताकि बच्चों में होने वाले जन्मजात विकृतियों से बचा जा सके। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं को खुश रहना चाहिए, तनावमुक्त रहना चाहिए और दिनचर्या के दौरान समय-समय पर आराम करते रहना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान धुम्रपान व एल्कोहल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। परिवार के बाकि सभी सदस्यों को भी गर्भवती महिला को खुशहाल माहौल देना चाहिए। आयोडाइज्ड नमक का सेवन करना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान हाइपर टैंशन, डायबिटीज, थॉयरायड, एचआईवी एड्स, हैपेटाइटिस जैसी बीमारियों के लिए जांच की जानी चाहिए। वरिष्ठ चिकितसा अधिकारी डा. राजेश भोला ने कहा कि बिना डाक्टर की सलाह के लिए किसी दवाई का सेवन नहीं करना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान आवश्यक टीकाकरण भी करवाना चाहिए। जिन गर्भवती महिलाओं में पहले भी जन्मजात विकृतियां देखने में आ चुकी हैं उन लोगों को गर्भधारण करने से पहले भी डाक्टर की सलाह लेनी चाहिए। सभी गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कम से कम तीन नियमित जांच करवानी आवश्यक हैं। जन्मजात विकृतियों में शामिल दोष में बच्चों में अधिकतर न्यूरल ट्यूग डिफैक्ट, डाउन सिंडरोम शामिल हैं वही ऐसे बच्चों में कटे-फटे होठों के साथ पैदा होना, टेढ़े-मेढ़े मुड़े हुए पैरों के साथ पैदा होने वाले बच्चे, जन्मजात मोतियाबिंद, जन्म से ही न सुन पाना, जन्म के समय दिल में छेद का पाया जाना शामिल है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य ऐसे बच्चों की समय रहते पहचान करना, उनको ढूंढ निकाल के उचित स्थान पर रैफर करना व उनका सही रूप से इलाज करवाना शामिल है ताकि स्वास्थ्य विभाग शिशु मृत्यु दर को निचले स्तर पर ला सके। ट्रेनिंग में डा. सीमा वशिष्ठ, डा. निशा शर्मा, डां अंजू अग्रवाल, डा. जितेंद्र, डा. सूचि गोयल, डा. अनिल, डा. कविता व अन्य अधिकारी शामिल रहे।
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