सत्यखबर सोनीपत (संजीव कौशिक) – अलीगढ़ वास्तविकता यही है कि यदि इंसान परिश्रम, प्रयास, साहस, पराक्रम और ईमानदारी से काम करे तो निस्संदेह ईश्वर उसे सफलता की सर्वोत्तम ऊंचाईयों पर विराजमान कर देता है। और इस वास्तविकता का जीवंत प्रमाण हैं, राजधानी दिल्ली से हिन्दी और उर्दू में प्रकाशित होने वाले प्रख्यात साप्ताहिक “भारती एक्सप्रेस” के प्रधान संपादक डॉ यास देहलवी की पोती, शफ़क़ नाज़, जिन्होंने आल इंडिया नेट परीक्षा में 1351 वां स्थान प्राप्त करके न केवल अपना , अपने परिवार का, अपने जिले का अपितु समस्त राज्य का नाम रौशन कर दिया है।
कहते हैं “पूत के पांव पालने में ही बता देते हैं कि किस दिशा दौड़ेंगे” चुनांचे शफ़क़ नाज़ बाल्यावस्था से ही पठन पाठन की प्रेयसी रही हैं ,यही कारण है कि बचपन से ही सदैव उच्चतम अंक अर्जित करके अपने माता-पिता और परिवार का नाम रौशन करती आ रही है। उन्हें बचपन से ही मानव सेवा करने का शौक़ था, वह हमेशा अपने माता-पिता से यही इच्छा जतातीं कि मैं एक अनुभवी डाक्टर बन कर ग़रीबों, दीन दुखियों, लाचारों एवं असहाय जनों की सहायता करूंगी।
शफ़क़ नाज़ ने इनफ़ेन्ट जीसेस स्कूल पटना सिटी से मैट्रिक प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया, उसके पश्चात निज़ामिया हाई स्कूल खगोल से इंटर उच्च श्रेणी से पास किया । तत्पश्चात उन्होंने अपने परिश्रम तथा पराक्रम एवं माता-पिता के सही मार्ग दर्शन से नीट की आल इण्डिया परीक्षा में 1351वीं रैंकिंग प्राप्त करके पूरे खानदान को गौरवान्वित महसूस करने का अवसर प्रदान किया है। शफ़क़ नाज़ के पिता (जो वर्तमान में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग बिहार सरकार में कार्यरत हैं) ने बड़े स्नेहल गर्व की अनुभूति करते हुए बताया कि शफ़क़ ने पूर्णांक 720 में से 644 अंक अर्जित करके राज्य केंद्रीय स्तर पर बहुत ही शानदार प्रदर्शन किया है, जो वास्तव में हम सब परिवार वालों के लिए ईद का बहुमूल्य तोहफ़ा है ,(नीट के परिणाम ठीक ईद के ही दिन घोषित हुए हैं)।
नीट की आल इंडिया रैंकिंग में ऐसा उच्च स्थान प्राप्त करने के लिए शफ़क़ के माता-पिता का सराहनीय निरीक्षण जितना बधाई का पात्र है , शिक्षकों का मार्ग दर्शन उससे किसी भी तरह कम प्रशंसनीय नहीं कहा जा सकता। क्यों कि इंटर करने के पश्चात उन्होंने मैडिकल की तैयारी के लिए पहले रेहमानी ३० में प्रवेश लिया और वहां के अनुभवी एवं दक्ष प्रध्यापकों के आत्मसात प्रशिक्षण एवं कठोर परिश्रम ने मज़बूत आधार रखने का काम किया। रहमानी 30 के पश्चात प्रख्यात कोचिंग संस्थान “आकाश” (पटना) से विशेष टिप्स पर आधारित नवीनतम प्रशिक्षण प्राप्त करके अपने जुझारु एवं पराक्रमी कौशल का जलवा बिखेरते हुए अंत:तो शफ़क़ ने इस उत्साहवर्धक सफलता के झंडे गाड़ ही दिए।
शफ़क़ नाज़ को उनकी इस मार्मिक सफलता के लिए यूं तो देश विदेश में रह रहे उनके अनेकों रिश्ते कुनबेदारों की ओर बधाई संदेशों और उपहारों का तांता लगा है परन्तु उनके लिए शायद सबसे अधिक महत्वपूर्ण मुबारकबाद उनके दादा जनाब सय्यद मुस्तफ़ा क्रीम सोहरवरदी “मक़दूमाबादी” की है जो स्वयं एक प्रख्यात फार्मासिस्ट रह चुके हैं।
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