सत्यखबर,सोनीपत(संजीव कौशिक )
नेत्रहीन छात्रों के लिए एक अच्छी खबर है। नेत्रहीन छात्र कम्पयूटर पर पढ़ाई के दौरान टैक्सट मैसेज अंग्रेजी भाषा के भारतीय उच्चारण में सुन सकेंगे। यह सब कुछ दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल की छात्रा के शोध के कारण संभव हो पाया है। डीसीआरयूएसटी, मुरथल की छात्रा मुक्ता ने ये देखा कि नेत्रहीन विद्यार्थियों को कम्पयूटर पर पढ़ाई करते समय मे बाधा आ रही है। उन्हें कम्पयूटर पर पढ़ाई के दौरान अंग्रेजी का अमेरिकन व ब्रिटिश उच्चारण सुनने को मिलता था। अमेरिकन व ब्रिटिश उच्चारण भारतीय उच्चारण की अपेक्षा तीव्र गति से होता है। कई बार विद्यार्थियों को उसका अर्थ समझ में नहीं आ पाता था। अर्थ को समझने के लिए बार बार टैक्सट को रिपीट करना पड़ता था। मुक्ता ने ठान लिया था कि वे इस विषय पर शोध करेंगी। मुक्ता को नेत्रहीन विद्यार्थियों के लिए कार्य करने में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ा। मुख्य समस्या तो यह थी कि इसको धरातल पर कैसे लाया जाए। इस विषय के भावानात्मक व थ्री डी रूपांतर पर कुछ ही पाठ्य सामग्री उपलब्ध थी। मुक्ता ने 4 वर्ष की कड़ी मेहनत के बाद मेथड़ोलॉजी (कार्यप्रणाली)बनाई। उसके बाद अपना डाटाबेस बनाया। अंत में मुक्ता इस मुकाम पर पहुंची कि नेत्रहीन विद्यार्थी अंग्रेजी के भारतीय उच्चारण में कम्पयूटर पर पढ़ाई कर सकेंगे।
सॉफ्टवेयर से होंगे अनेक लाभ
मुक्ता द्वारा बनाया गया सॉफ्टवेयर नेत्रहीन विद्यार्थियों के लिए बेहतर साबित हो सकता है। इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से नेत्रहीन विद्यार्थी अंग्रेजी को भारतीय उच्चारण में सुन सकेंगे। जिससे उन्हें विषय की अच्छी समझ होगी, साथ ही उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर भी मिलेगा। इस अनुसंधान का महत्वपूर्ण योगदान यह है कि टैक्सट को अच्छे या बुरे भाव के अनुसार बोली में परिवर्तित किया जा सकेगा, साथ ही इसमें थ्री डी इफैक्ट भी डाला गया है। जिसका लाभ यह होगा कि नेत्रहीन को यह भी पता चल सकेगा कि ध्वनि किस दिशा से आ रही है। इसका प्रयोग एनिमेटिड मूवी में भी किया जा सकता है। सॉफ्टवेयर के माध्यम से पढाई के लिए नेत्रहीनों के क्लास रूम को रूचि पूर्ण बनाया जा सकता है।
क्या कहती हैं शोधार्थी की गाइड डा.अमिता मलिक
डीसीआरयूएसटी, मुरथल में एसोसिएट प्रोफेसर डा.अमिता मलिक ने कहा कि उनकी शोध छात्रा मुक्ता ने इस क्षेत्र में विशिष्ट शोध करके भारतीय अंगे्रजी भाषा के टैक्सट मैसेज को नेत्रहीनों तक पहुंचाने नया काम किया है। इस शोध से हिंदी व क्षेत्रीय भाषाओं के टैक्सट मैसेज के शोध को ईजाद करने में बहुत मद्द मिलेगी। नेत्रहीनों के लिए वे हिंदी व क्षेत्रीय भाषाओं में शोध कराने के लिए तैयार हैं। ताकि समाज के विभिन्न वर्गों नेत्रहीन, मुक व ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों को लाभ मिल सके।
क्या कहते हैं कुलपति प्रो. अनायत
डीसीआरयूएसटी के कुलपति प्रो. अनायत कहते हैं कि विश्वविद्यालय का कार्य ज्ञान पैदा करने के साथ साथ समाज के लिए कल्याणकारी शोध करना भी होता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का प्रयास होगा कि आगे कोई विद्यार्थी इस शोध को हिंदी व क्षेत्रीय भाषा में करें ताकि गांव में बसने वाले विद्यार्थियों को इसका लाभ मिल सके।
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