सत्यखबर जाखल (दीपक) – खंड जाखल के चुहड़पुर निवासी किसान हरविंद्र सिंह लाली अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन रहा है। वह कई वर्षौं से पराली को जलाए बिना इसका उपयुक्त उपाय कर पर्यावरण के संरक्षण में अपना योगदान दे रहे हैं। किसान हरविंद्र सिंह को ऐसी खेती की प्रेरणा अपने चाचा से मिली। हर्बल खेती में कदम रखने के साथ हरविंद्र सिंह ने अपने अनुभव भी हासिल किए। यू ट्यूब के माध्यम से खेती की आधुनिक मशीनों तकनीक का ज्ञान प्राप्त किया। हरविंद्र सिंह बताते हैं कि कीटनाशक ना इस्तेमाल करने का परिणाम ये निकल कर सामने आया है कि उसके खेत में कोई कीड़ा नहीं लगता क्योंकि हर्बल खेती में कीट प्रवेश नहीं करता। ये उसका स्वयं का अनुभव है। आज उसे फेसबुक पर खरीददार हर्बल खेती को उपज को मुंह मांगे दाम देने को तैयार हैं। वह काफी वर्षों से पराली ना जलाने से खेती की उर्वरक क्षमता में जबरदस्त विकास हुआ है।
उन्होंने बताया कि वह खुद पंचायत समिति चेयरमैन भी हैं वह खुद तो फसली अवशेष का उचित प्रबंधन कर रहे हैं, बल्कि अन्य किसानों को भी प्रेरित कर रहा हैं। उन्होंने कहा कि वे सन 2016 में फैसला किए थे कि फसलों के अवशेष को आग नहीं लगाएगा। इस साल 22 एकड़ में गेहूं की बिजाई धान के खड़े अवशेषों में हैपीसीडर व रोटावेटर से करवाई है व उसे प्रति एकड़ औसतन झाड़ में लगभग 4.5 क्विंटल अधिक उत्पादन मिला है। इस तकनीक से खर्चे में भी कमी आई है। उसने बताया कि हैपीसीडर से बिजाई करने से पहले उसके खेत में कलर की मात्रा बहुत ज्यादा थी, परंतु गेहूं के नाड़ व पराली को खेत में ही दबाने से जैविक शक्ति बढ़ रही है।
लाली ने बताया कि जब तक दूसरे किसान गेहूं बिजाई की तैयारी कर रहे होते हैं उसके खेत की गेहूं अंकुरित हो जाती है। इस आधुनिक पुरातन खेती के समावेश के सफल प्रयोग पर किसी ने सम्मानित भी किया के सवाल पर हंसते हुए कहते हैं नहीं जी बस कुछ मित्र प्रशंसा करते हैं तो अच्छा लगता है। वहीं इस खेती में लागत कम लगती है बस उत्पादन दूसरे से कम होता है पर उसका वाजिब दाम मिलने का हरविंद्र सिंह को इसका भी कोई मलाल नहीं है। उसका मानना है कि अपने मुनाफे के लिए दूसरे की सेहत से खिलवाड़ बिल्कुल भी सही नहीं है।
किसानों के लिए बन रहा है प्रेरणा स्त्रोत
किसान चुहड़पुर निवासी हरविंद्र सिंह लाली अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन रहा है। उसने यूट्यूब पर खेती के आधुनिक तरीके देखकर फेसबुक, वाट्स एप पर अपनी हर्बल फसल बेचना शुरू किया। अपनी समाज की सेहत का ख्याल कर वह खेती में किसी प्रकार का कोई कीटनाशक प्रयोग नहीं करता। हालांकि इससे उत्पादन तो कम होता है लेकिन अच्छी फसल होने से उसे मुंह मांगे दाम मिलते हैं।
अपनी खेती करने के तरीकों को करता है लाइव।
हरविंद्र सिंह लाली अपनी फेसबुक वॉल पर बाकायदा अपने खेती को लाइव अपने खरीदारों मित्रों को दिखाता है। वह स्वयं हर काम को करता है निराई, गुड़ाई, बिजाई सब काम उसकी फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब वाल पर देखे जा सकते हैं। वहीं समय समय दूसरे किसानों को सुझाव सहयोग देता रहता है कि किस तरह आधुनिक विज्ञान से जुड़ कर पुरातन मूल्यों को कायम रखते हुए समाज व्यक्ति की सेहत के साथ आमदन को भी बढ़ाया जा सकता है।
क्या कहते हैं समाजसेवी
गांव सरपंच सुखचैन दहिया, भाजपा किसान मोर्चा के मंडल अध्यक्ष अमरीक सिंह ग्रेवाल, गुरसेवक सिंह काला चांदपुरा, हरमेश शर्मा, अरुण गुप्ता, हरीश गर्ग, हुमन राइट काउंसिल के महासचिव डॉक्टर राजेश कुमार, जन चेतना मच प्रधान मास्टर बृजपाल, कुशलकात जैन, समाजसेवी जनरल भंगू, समाजसेवी बीकर सिंह, रामचंद्र चांदपुरा, सरपंच सतीश कुमार, किसान जग्गी महाल, नाजम तलवाड़ा, वडियाल साधनवास इत्यादि ने सरकार व जिला प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि ऐसे प्रेरणादायक किसान को राज्य स्तर पर सम्मानित करना चाहिए जो वर्षों से धान प्राणी प्रबंधन को लेकर दूसरे किसानों क लिए भी प्रेरणा प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।
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