सत्यख़बर जींद
जींद के गावं सुदकैन खुर्द में एक साधारण किसान परिवार में जन्मी विकास राणा के बुलंद होंसलो के आगे विश्व की हर ऊंचाई छोटी पड़ गई साउथ अफ्रीका की किलि मंजारो और रशिया की माउंट एल्ब्रुस को फतेहकर तिरंगा फहराने एवं भारत का नाम रोशन करने वाली इस साहसी लड़की विकास राणा ने अब विश्व की सबसे ऊँची चोटी माउंट एवेरस्ट को भी फ़तेह कर भारत का तिरंगा फहराते हुए साबित कर दिया की बेटियाँ किसी से कम नहीं है और बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ एवं बेटी खिलाओ नारे को सार्थक कर दिखाया मंजिले उन्हीं को मिलती है , जिनके सपनों में जान होती है । पंखों से कुछ नही होता , हौसलो से उड़ान होती है जो अपने पक्के इरदों के आगे मुसीबतों के घुटने टिका जाएगा । वहीं सुदृढ़ मनोवल वाला मनुष्य , जिंदगी की यह जंग जीत पाएगा । अगर मन में उत्साह , उमंग और कुछ कर दिखाने का ज़ज़्बा हो तो हर कार्य में सफलता की मंज़िल आसानी से मिल जाती है । कोशिश करने वालों की कभी हार नही होती । बशर्त मन में जज्बा कायम होना चाहिए, यदि इंसान के मन में उत्साह और कुछ कर गुजरने की हिम्मत हो तो जिंदगी में कुछ भी हासिल किया जा सकता है ।अपने इन्हीं हौसलो के बदौलत गांव सुदकैन खुर्द में एक साधारण किसान परिवार में जन्मी बेटी विकास राणा हरियाणा की एकमात्र स्कीइंग की अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी है और एक पर्वतारोही भी है वे अब अपने माउंट एवेरस्ट अभियान में न केवल सफलता पूर्वक तिरंगा माउंट एवेरस्ट पर फहराकर आई बल्कि पूरी दुनिया में ये साबित कर दिया की बेटियाँ किसी भी ऊंचाई को छूने में सक्षम है मेरा स्वर्णिम हिन्द के प्रदेश प्रवक्ता अशोक खरब ने बताया की विकास राणा राष्ट्रीय संस्था मेरा स्वर्णिम हिन्द की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की ब्रांड अम्बेस्डर भी है प्रेस को जानकारी देते हुए विकास राणा ने बताया की माउंट एवरेस्ट विश्व की सबसे ऊंची चोटी है जिसकी ऊंचाई 8848 मीटर है इस चढ़ाई में 2 महीने का समय लगता है , माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए 30 लाख रुपए का खर्चा आता है मेरा स्वर्णिम हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष राममेहर सांगवान ने बताया की अपनी बेटी के सपने को पूरा करने के लिए विकास राणा के पिताजी ने अपनी जमीन गिरवी रख व राजपूत समाज ने अपनी बेटी विकास राणा को 30 लाख रुपए इकट्ठे करके दिए! सांगवान ने कहा की राजपूत समाज को अपनी बेटी विकास राणा की क़ाबलियत पर पूरा भरोसा था और उसके सपने को पूरा करने के लिए हर संभव मदद हमेशा करने को तैयार रहता है इस मिशन में भी राजपूत समाज ने हर संभव आर्थिक मदद की विकास राणा के पिता ओमप्रकाश एक किसान है और माता जी घर का कार्य संभालती है और एक छोटा भाई है और एक बड़ी बहन है
अशोक खरब ने बताया की विकास राणा ने 2011 में जम्मू कश्मीर के जवाहर इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग विंटर स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट में कोर्स करके पर्वतारोहण की शुरुआत की और इसके साथ साथ इन्होंने स्कीइंग में भी देश और प्रदेश में अपना नाम चमकाया, विकास राणा हरियाणा की इकलौती इंटरनेशनल स्कीइंग की खिलाड़ी है, इन्होंने 5 बार नेशनल गेम में पार्टिसिपेट किया है जिसमें से वर्ष 2018 में इन्होंने नेशनल गेम में सिल्वर मेडल प्राप्त किया था और 2017 में जापान में हुए एशियन गेम में भी इन्होने पार्टिसिपेट किया था और इंडिया को रिप्रेजेंट किया था, विकास राणा ने 5 अप्रैल 2019 को अपना माउंट एवरेस्ट अभियान शुरू कर दिया था और कंपनी को रिपोर्ट कर एवेरस्ट चढ़ाई शुरू कर दी थी !बेस कैंप से माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई शुरू हो गई और बर्फीले तूफानों एवं अनेक कठिन परिस्थितियो को लांघते हुए और मौत को चकमा देकर अपनी पूरी तयारी और होंसले के साथ एवेरस्ट पर तिरंगा फहरा कर अपने देश भारत का नाम रोशन किया ! 25 जुलाई 2018 को इन्होंने साउथ अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो को फतह किया था और 5 सितंबर 2018 को इन्होंने यूरोप महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस को फतह कर स्कीइंग करते हुए नीचे आई , ऐसा करने वाली विकास राणा पहली भारतीय महिला बन गई । अब यह कारनामा करने वाली भारत की इकलौती खिलाड़ी है और इंडिया बुक रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा चुकी है । इस बार विकास राणा का सपना विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट के शिखर पर अपने देश की आन बान शान तिरंगा झंडा और हरियाणा की पर्वतारोहण कंपनी हिमालयाज एक्सपीडिशन का बैनर एवरेस्ट के शिखर पर लहराया मेरा स्वर्णिम हिन्द के प्रदेश प्रवक्ता अशोक खरब ने कहा की,विकास राणा के बुलंद होंसले ने साबित कर दिया है की भारत की बेटियाँ किसी भी फिल्ड में पीछे नहीं है इस वक़्त विकास राणा का माउंट एवेरस्ट फतेह करने का अभियान पूरा हो चूका है और वे काठमांडू पहुंच गई है वह कसे और किन हालत से जूझते हुए आगे बढ़ी ये सुनना हम जसे आम आदमी के लिए तो रोमांच की बात हो सकती है किन्तु अड़चने और मुश्किलें विकास का हौंसला नहीं तोड़ पाई और वे तमाम बाधाओं को पार करते हुए अपने मिशन में सफल रही उनकी इस सफलता पर माँ बाप परिवार और गावं को ही नहीं बल्कि पूरे हरियाणा और भारत को गर्व है आज विकास राणा देश की बेटियों के लिए एक प्रेरणा बन गई है
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