सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) – रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल को विभिन्न विभागों का समर्थन मिल रहा है, इससे कर्मचारियों के हौंसले बुलन्द हो गये हैं। प्रदेश सरकार की चेतावनी के बावजूद रोडवेज कर्मचारी पूरी तरह डटे हुए हैं। कर्मचारियों का कहना है कि चाहे सरकार उन्हें बर्खास्त क्यों न कर दे, लेकिन वे जनता के हित को देखते हुए हड़ताल से उठने वाले नहीं हैं। जब तक सरकार 720 बसों को परमिट देने का फैसला वापिस न ले ले। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार तानाशाही रवैया अपनाये हुए है, जिसका खामियाजा सरकार को विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल ने कर्मचारियों के खिलाफ सख्ती दिखाई थी और कर्मचारियों ने इसका बदला उनको सत्ता से बाहर करके लिया था। उन्होंने कहा कि अभी तो यह हड़ताल 8वें दिन में प्रवेश कर गई है और सरकार ने जल्द मांगे नहीं मानी तो यह हड़ताल लंबी चल सकती है। इस अवसर पर प्रदीप शर्मा, रणधीर ग्रोवर, राजबीर ढिल्लो, सुखदेव श्योकन्द, भूपेन्द्र चौपड़ा आदि मौजूद थे।
स्कूली बसें केवल फोटो खिंचवाने के लिए बस स्टैण्ड पर पहुंची
जिला उपायुक्त अमित खत्री ने यात्रियों की परेशानी को देखते हुए जिला शिक्षा अधिकारी को बस स्टैण्ड पर स्कूली बसें भेजने के लिए कहा था, जिसके बाद उपायुक्त के आदेशों की पालना करते हुए बस स्टैंड, नरवाना पर 6 स्कूली बसों को भेज दिया गया था। स्कूली बसें बस स्टैण्ड पर पहुंच गई हैं या नहीं, इस बात को पुख्ता करने के लिए बीईओ कार्यालय से कर्मचारी को फोटो भेजने को कहा था। जिसके बाद कर्मचारी ने उन बसों की फोटो खींच कर उच्च अधिकारी को भेज दी।
जैसे ही कर्मचारी फोटो खींचकर चला गया, वैसे ही उसके पीछे-पीछे सारी स्कूली बसें बाहर निकल गईं। जब उनसे इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि बच्चों को घर छोडऩे का समय हो गया है, इसलिए उनको घर छोडऩे के बाद ही वापिस आयेंगी। लेकिन देर शाम तक वे स्कूली बसें वापिस नहीं लौटी। वहीं जीन्द से नरवाना एक रोडवेज की बस पहुंची, तो कैथल से 2 बसें पहुंची।
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