सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
भारत का किसान जहां एक तरफ ऋण के बोझ तले दब कर आत्महत्या कर रहा है, दूसरी तरफ खेती औजार बनाने वाले उद्योगों के मालिक बैंकों से मिलकर लाखों-लाखों रुपए का ऋण ले रहे हैं। यह बात किसान नेता व युवा इनेलो के प्रदेश उपाध्यक्ष कश्मीरा हंसडैहर ने प्रैस को जारी एक बयान में कही। कश्मीरा ने कहा कि एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014, 15 व 16 में आरबीआई की हिदायतों के अनुसार छोटे किसान के एक खाते में 86, 84, 80 लाख तक का ऋण दिया गया। उन्होंने हैरानी जताई कि आखिर वे किस तरह के किसान हैं, जो लाखों- लाखों रुपये तक का लोन ले लेते हैं। दरअसल इस तरह का ऋण खेती का नाम लेते हुए खेती औजारों का निर्माण करने वाले उद्योगों के लिए वितरित किया गया, क्योंकि कृषि के लिए ब्याज की दर आरबीआई के अनुसार चार प्रतिशत तय की गई है। उन्होंने इस तरह लिए जाने वाले लोन को तकनीकि लूट की संज्ञा दी। उन्होंने कहा, यह तो पुराने जमाने की लूट वाली बात हुई कि उस जमाने में डाकू सीधे पकी फसल को उठाकर अपनी घोड़ी पर लादकर ले जाते थे। इसी प्रकार कृषि औजारों के निर्माण के नाम पर ये उद्योगपति भी पुराने जमाने वाले डाकूओं की तरह अपनी सफेद पोशाक पहनकर उन्हींं की भूमिका अदा कर रहे हैं।
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