सत्यखबर सफीदों (महाबीर मित्तल) – नगर की श्री एसएस जैन स्थानक में धर्मसभा को संबोधित करते हुए जैनाचार्य सुभद्र मुनि महाराज ने कहा कि सृष्टि में मानव जीवन अनमोल है। सद्व्यवहार, सदाचरण व सन्मार्ग मानवता है। जीवन की सार्थकता तप, त्याग व नैतिकता में है। इस मौके पर अमित मुनि, सुमित मुनि, सुमित मुनि, सुमेर मुनि, श्रेयांस मुनि, वसन्त मुनि, रिषभ मुनि, सौरभ मुनि भी विराजमान थे। इस अवसर पर जैनाचार्य ने नगर के गण्यमान्य लोगों को साहित्यिक पुस्तकें भेंट की।
जैनाचार्य ने कहा कि मानव जीवन का मुल्यांकन दान, शील सदाचार शुभ भावना में है। चिन्तनशील प्राणी के मन में शुभ भावना होनी चाहिए। धर्म, अराधना व पूजा-पद्धति अलग-अलग होने के बावजूद भी सभी का लक्ष्य एक ही है। धर्म पद्धति एक बाह्य रूप और आन्तरिक स्वरूप भाव पद्धति है। भाव अराधना अंतर्मन को पवित्र करता है। तन व मन जीवन के संस्कारों को शुद्ध करने का साधन हैं। बाह्य अराधना में अधिक दिखावा भीतर के आनंद को कम करता है। आचार्य ने कहा कि शुभ भावना से धर्म फलीभूत होता है।
अशुभ भावना से मन में गलत चिंतन और वैरभाव पैदा होता है। जो मन से सब जीवों से क्षमा याचना कर लेता है, उसके मन में वैर, द्वेष व ईष्र्या नहीं रहती। इस अवसर पर मुख्य रूप से एसएस जैन सभा के प्रधान सूरजभान जैन, पीसी जैन, प्रवीन जैन, सुनीता जैन, जितेंद्र जैन, पूर्व पालिकाध्यक्ष राकेश जैन, एमपी जैन व सुभाष जैन ने जैनाचार्य का अभिनंदन किया।
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