सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
शिक्षा विभाग द्वारा एक पत्र जारी किया गया है, जिसमें बच्चों के घरों तक मिड डे मील पहुंचाने के लिए अध्यापकों को निर्देश दिए गए हैं। जिसमें कहा गया है कि बच्चों को 10 दिन का राशन घर-घर पहुंचाया जाए। राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रधान अश्वनी नैन ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में कहा कि जब अध्यापक यह राशन लेकर के बच्चों के घर-घर तक पहुंचायेगा, क्या वह रिक्शा कांटा तराजू लेकर जाएगा? घर-घर राशन पहुंचाने पर क्या उस दौरान यह शिक्षक और उससे संपर्क में आने वाले लोग कोरोना से ग्रस्त होने का खतरा नहीं है। एक तरफ तो प्रधानमंत्री जी पूरे भारतवर्ष में जनता कफ्र्यू लगा रहे हैं दूसरी तरफ शिक्षा विभाग के अधिकारी इस प्रकार के आनन-फानन में पत्र जारी कर रहे हैं, जिसके कारण से शिक्षक समाज में असंतोष फैल गया है। इसका राजकीय प्राथमिक शिक्षक की समस्त कार्यकारिणी के साथ-साथ शिक्षक समाज पुरजोर विरोध करता है। इस प्रकार के काले कानून और गलत फरमान तानाशाही का नमूना पेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब शिक्षकों में उहापोह की स्थिति पैदा हो गई है, जहां पूरे भारतवर्ष में एक-एक करके सभी प्रदेश 31 मार्च तक जरूरी चीजों को छोड़कर बंद का आह्वान कर रहे हैं। वहां इस तरह के फरमान निश्चित रूप से समाज को तोडऩे महामारी को फैलाने और समाज के प्रति नकारा परिणाम घोषित करते हैं, इसका शिक्षक समाज पुरजोर विरोध करता है।
Aluminium scrap yard security Aluminium scrap streaming Scrap metal recycling best practices
brand lasuna – lasuna pills where to buy himcolin without a prescription