सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
आर्य समाज के तत्वधान में महर्षि दयानंद जन्मोत्सव व बोधोत्सव के दूसरे दिन यजमान के आसन पर अभिषेक परिवार सहित उपस्थित रहे। भजनोपदेशक पंडित योगेश आर्य ने भजनों के माध्यम से सत्संग, संगति व संस्कार पर विचार देते हुए कहा कि सत-संग यानी सत्य का संग करना सत्संग कहलाता है। इस लिए तो ऋषि ने आर्य समाज के नियम में सत्संग पर विचार देते हुए कहा कि वेद सब सत्य विद्याओं की पुस्तक है। वेद का पढऩा- पढ़ाना व सुनना-सुनाना सब आर्यों का परम धर्म है। उन्होंने कहा कि सफलता की तीन सीढ़ी समय, साधन और शक्ति। इन तीनों को धारण कर मनुष्य महान से महानतम बन जाता है और अपने जीवन में सफलता को प्राप्त करता है। समय की मर्यादा का पालन करना, साधन का अर्थ अपनी ज्ञान इंद्रियों को साध कर रखना यानी नियंत्रण में रखना, मुख से सत्य बोलना, कान से अच्छा सुनना, आंख से अच्छा देखना आदि साधनों के उचित व्यवहार करने से मनुष्य महान बन जाता है। इस अवसर पर इंद्रजीत आर्य, नरेश चंद्र आर्य, आमोद आर्य, रमेश आर्य, विजय कुमार, अश्विनी आर्य, विवेक आर्य, धर्मपाल आर्य, धर्मपाल गुप्ता सहित शिक्षण संस्थान के विद्यार्थी उपस्थित रहें।
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