कहीं बहन का हाथ भाई के सिर पर था तो कहीं भाई का हाथ बहन के सिर पर
सफीदों :महाबीर मित्तल
शनिवार को सफीदों उपमण्डल के सिघाना गांव मे राजकीय हाई स्कृल के छात्र पास के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल मे बिना किसी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के पहुंच गए जहां उन्होंने छात्राओं से राखी बंधवाई । छात्रों के साथ स्कूल के प्रधानाचार्य संजीव कुमार व महावीर शास्त्री, जयपाल, औमप्रकाश तथा कुलदीप सहित अन्य स्टाफ सदस्य भी थे। इस मौके पर करीब तीन सौ छात्राओं ने मेहमान भाईयों को राखी बांधने की रस्म अदा की। महर्षि श्रंगी की तपोस्थली इस गांव मे यह पहला मौका था जब इस तरह का प्रेरक कार्यक्रम किया गया। संजीव कुमार ने बताया कि नैतिक मूल्यों मे निरंतर दर्ज हो रही गिरावट आज गम्भीर चुनौती हमारे समाज के लिए बन गई है। उन्होंने बताया कि वह सुबह स्कूल मे थे जहां उन्हें ध्यान आया की युवा पीढी मे संस्कारों के सृजन की जरूरत है और इसके लिए शिक्षा संस्थान बेहतर मंच है। संजीव ने बताया क्योंकि इस दिशा मे काम करने का रक्षाबंधन से बढिया मौका और कोई नही और यह मौक आज हाथ में ही था, उन्होंने स्टाफ मे महावीर शास्त्री, जयपाल, औमप्रकाश व कुलदीप की राय ली तो सब खुश हुए और झट से तीन सौ राखियों का इन्तजाम किया गया। प्रधानाचार्य ने बताया कि सबसे पहली राखी उन्होंने इस गांव मे बच्चों सहित रह रहकर स्कूल मे मजदूरी कर रही इस गांव की बेटी सरोज को बांधी और फिर चल दिए कन्या स्कूल की तरफ जहां प्राचार्य जगमेंद्र रेढू से बात हुई तो उन्होंने उत्साह बढ़ाते हुए असैम्बली बुलाई और इसमे घोषणा कर दी उस स्कूल से आए छात्र इस स्कूल की छात्राओं, अपनी बहनों को राखी बांधेंगे। लाईन मे खड़ी कर दी गई बहनों के सामने भाई आए जिन्होने राखी बंधवाने को हाथ आगे बढाया तो बहनें भी भावुक हुए बिना नही रह सकी। बड़े छात्रों को छोटी उम्र की छात्राओं से तथा छोटी उम्र के छात्रों को बड़ी उम्र की छात्राओं से राखी बंधवाई गई ताकि भाई छोटा है तो उसके सिर पर बहन हाथ रखकर आशीवार्द दे और यदि बहन छोटी है तो भाई अपनी बहन के सिर पर हाथ रखे ताकि यह रिश्ता और ज्यादा मजबूती के साथ कायम रहे। पानी की सेवा दे रहे स्काऊट़स आर्यन, शिवम व आशीश तथा कार्यक्रम की फोटोग्राफी कर रहे अमित व रामफल को राखी नहीं बंधी देख कई छात्राओं ने आगे आकर यह रस्म निभाई। इस मौके पर राज्य महिला आयोग के प्रोफोर्मा अनुसार सभी छात्र-छात्राओं को महिलाओं व बुजुर्गों का सम्मान करने की शपथ भी दिलाई गई। संजीव का कहना था कि समय नहीं था इसलिए ग्रामीण गणमान्य लोगों को नहीं बुलाया जा सका और फिर उनका मक्सद तो बहनों-भाईयों के दिलों मे ऐसी भावना का सृजन ही था जो उनके बीच के असली सम्बन्ध का बोध कराए। इसके बाद सबको प्रसाद बंटा और फिर दिन भर सिंघाना गांव ही नहीं बल्कि समीपवर्ती गावों जयपुर, छापर, बहादुरगढ मे भी इस अनूठी पहल के चर्चे रहे।
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