सत्यखबर, चढ़ीगढ़
अक्सर चर्चाओं में रहने वाले हरियाणा के सीनयिर आइएएस अधिकारी अशोक खेमका ने एक बार फिर अपने ट्वीट से हलचल पैदा कर दी है और सरकारी व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। इस बार खेमका ने हरियाणा सरकार द्वारा हर साल आढ़तियों को दिए जाने वाले कमीशन को मुद्दा उठाया है। खेमका ने परोक्ष रूप से इसे सिस्टम की खामी बताते हुए सीधी अदायगी को किसानों के हित में करार दिया है। खेमका के इस ट्वीट से किसानों के खाते में सीधे पेमेंट की मांग को बल मिला, जबकि आढ़तियों के माध्यम से की जाने वाली खरीद व भुगतान का विरोध झलक रहा है।
हरियाणा व्यापार मंडल के अध्यक्ष बजरंग दास गर्ग ने अशोक खेमका के इस ट्वीट को व्यापारी व आढ़ती विरोधी करार दिया है। गर्ग ने कहा कि वातानुकूलित कमरों में बैठ कर ट्वीट करने वाले अधिकारी क्या जानें कि एक व्यापारी का दर्द क्या होता है। खेमका ने एक ट्वीट कर आढ़तियों को हर साल मिलने वाले दो हजार करोड़ रुपये के कमीशन पर सवाल खड़े किए हैं। यह विवाद हर साल गेहूं व धान की सीजन में होता है।
खेमका ने ट्वीट कर कहा कि पंजाब व हरियाणा में धान एवं गेहूं की सरकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य खरीद पर आढ़तियों को एक साल में लगभग दो हजार करोड़ कमीशन सरकारी खजाने से मिलता है। किसानों को सीधे भुगतान नहीं, बल्कि आढ़तियों के मार्फत किया जाता है। कुछ बातें समझ से परे होती हैं।
बता दें कि हरियाणा में इस समय करीब 35 लाख लोग कृषि से जुड़े हुए हैं। हरियाणा सरकार द्वारा हर साल गेहूं व धान के सीजन में किसानों को अदा की जाने वाली कुल धनराशि का ढाई प्रतिशत आढ़ती को आढ़त के रूप में दिया जाता है।
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