सत्यखबर,चंडीगढ़, ब्युरो रिपोर्ट
हरियाणा लोक सेवा आयोग (एच.पी.एस.सी.) में प्रदेश की पूर्व हूडा सरकार द्वारा नियुक्त किये गए दो सदस्यों नीलम सिंह और राजेश वैद का छः वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने के बाद अब आयोग में जल्द ही हरियाणा की मौजूदा भाजपा-जजपा द्वारा दो नए सदस्यों की नियुक्ति की जायेगी.
इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि सात महीने पहले आयोग में मौजूदा सरकार द्वारा लगाए गए चेयरमैन रंजीत कुमार पचनंदा का कार्यकाल हालांकि इस वर्ष 22 अक्टूबर, 2020 तक है. उन्होंने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 316 (2 ) के अनुसार राज्य लोक सेवा आयोग में चेयरमैन और सदस्यों का कार्यकाल नियुक्ति के छः वर्ष तक या उनकी आयु के 62 वर्ष तक, जो भी पहले हो, तक होता है हालांकि संघ लोक सेवा आयोग (यू.पी.एस.सी.) में कार्यकाल छः वर्ष या आयु के 65 वर्ष होने तक होता है.
बीते माह 28 जून 2019 को हरियाणा सरकार के कार्मिक विभाग ने एक गजट अधिसूचना के रूप में शुद्धि-पत्र जारी कर हरियाणा लोक सेवा आयोग के तत्कालीन चेयरमैन (अध्यक्ष ) मनबीर सिंह भड़ाना एवं पांच अन्य सदस्यों – नीलम सिंह, राजेश वैद, नीता खेड़ा, जय भगवान गोयल एवं सुरेंदर सिंह की नियुक्ति के सम्बन्ध में पिछले कई वर्षो में समय समय जारी चार अलग अलग गजट अधिसूचनाओं में संशोधन कर उन सभी में भारत के संविधान के अनुच्छेद 316 के खंड (1 ए) के स्थान पर अनुच्छेद 316 का खंड (1) प्रतिस्थापित कर दिया है. लिखने योग्य है की गत वर्ष जनवरी, 2019 में पंजाब एव हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने आयोग के चेयरमैन एवं उक्त पांच सदस्यों की नियुक्ति सम्बन्धी अधिसूचनाओं में व्याप्त विसंगति के सम्बन्ध में राज्य के मुख्य सचिव कार्यालय के कार्मिक विभाग में एक आर.टी.आई. याचिका दायर की जिसमें उक्त सभी की आयोग के चेयरमैन एवं सदस्य के तौर पर जारी हुई गलत नोटिफिकेशन्स और उनमें किये गए सुधार की जानकारी मांगी गयी जिसके जवाब में कार्मिक विभाग की अंडर सेक्रेटरी ने पहले बताया कि सम्बंधित शुद्धिपत्र जारी नहीं गया है.
इसी दौरान हेमंत प्रदेश के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, तत्कालीन मुख्य सचिव, एडवोकेट जनरल आदि को अलग अलग याचिकाएं भेजी और इस बारे में उचित और त्वरित कार्यवाही करने की मांगी की जिसके बाद गत वर्ष जून, 2019 में तत्कालीन मुख्य सचिव डी.एस.ढेसी द्वारा शुद्धि पत्र सम्बन्धी अधिसूचना जारी की गयी. हालांकि हेमंत का मानना है की चूँकि उक्त सभी की नियुक्ति संवैधानिक पदों पर है, इसलिए शुद्धि पत्र की बजाये हरियाणा सरकार तो ताज़ा नोटिफिकेशन्स जारी करनी चाहिए थी. यहीं नहीं पूर्व चेयरमैन भड़ाना द्वारा 25 जुलाई 2013 को चेयरमैन पद के शपथ लेने से पूर्व राज्यपाल को आयोग के सदस्य के तौर पर दिए गए त्यागपत्र की जो प्रति उन्होंने मांगी थी, उस बाबत राज्य सरकार ने जवाब दिया की उनके रिकॉर्ड में ऐसा कोई भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं है परन्तु इस सम्बन्ध में कोई कार्यवाही की गयी. हेमंत ने बताया कि लोक सेवा आयोग के चेयरमैन एवं सदस्यों की नियुक्ति अधिसूचना भारत के संविधान के अनुच्छेद 316 के खंड (1 ) के तहत जारी की जानी चाहिए जबकि तत्कालीन आयोग चेयरमैन भड़ाना सहित कई सदस्यों के सम्बन्ध में सम्बंधित अधिसूचनाएं संविधान के अनुच्छेद 316 के खंड (1 ए) में जारी कर दी गयी जो कि कुछ विशेष परिस्थितियों में आयोग के कार्यवाहक चेयरमैन की नियुक्ति से सम्बंधित है. 25 जुलाई 2013 को तत्कालीन हूडा सरकार ने मनबीर सिंह भड़ाना को आयोग का चेयरमैन एवं जगन नाथ, सविता तायल, सुरेंद्र कुमार शर्मा और डॉ. हरेंद्र पाल सिंह को सदस्य नियुक्त किया परन्तु इन सब की नियुक्ति अधिसूचना भारत के संविधान के अनुच्छेद 316 के खंड (1 ए) में जारी की गयी. इसके बाद 1 मार्च, 2014 को नीलम सिंह और राजेश वैद, 8 अगस्त 2016 को नीता खेड़ा और जय भगवान गोयल एवं 27 मई 2017 को सुरेंद्र सिंह को सदस्य नियुक्त करते समय जारी गजट अधिसूचनाओं में भी ऐसा ही हो गया. अब यह सब भूलवश हुआ या किसी लापरवाही के कारण, यह देखने लायक है परन्तु यहाँ यह भी ध्यान देने योग्य है कि हालांकि 12 जून 2015 को जब मौजूदा खट्टर सरकार ने डॉ. कुलबीर छिकारा एवं डॉ. वंदना शर्मा को एवं 5 दिसंबर 2017 को डॉ. पवन कुमार को आयोग का सदस्य नियुक्त किया तो उनके सम्बन्ध में अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद 316 के सही खंड अर्थात खंड ( 1 ) में ही जारी की गयी.
एडवोकेट हेमंत ने बताया की वो अत्यंत हैरान है कि इतने वर्षो तक न तो तत्कालीन चेयरमैन भड़ाना और न ही सम्बंधित सदस्यों की इस बाबत को कोई बोध क्यों नहीं हुआ कि उनकी नियुक्ति अधिसूचना भारत के संविधान के गलत प्रावधान में जारी हुई है हालांकि लोक सेवा आयोग के सदस्य राज्य में न केवल उच्च राज्य सिविल सेवा (एच.सी.एस.) अधिकारियों बल्कि राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के राजपत्रित (गज़ेटेड) अधिकारियों और राजकीय कॉलेजो के असिस्टेंट प्रोफेसरो के पदों की चयन सम्बन्धी प्रक्रिया में साक्षात्कार भी लेते हैं जिसमे आयोग के चेयरमैन एवं सदस्यों द्वारा भारत के संविधान के सम्बन्ध में भी प्रश्न पूछे जाते हैं
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