सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
हिंदी हम सब की पहचान है और यह सभी को एकसूत्र में पिरोने का काम करती है। यह कथन सेवानिवृत एसोशिएट प्रोफेसर मैडम केरा सिंह ने 10 जनवरी विश्व हिंदी दिवस के मौके पर कही। केरा सिंह ने कहा कि प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में किया गया था। उस दिन के बाद यह दिन विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। जिसका उद्देश्य विश्व में हिंदी के प्रचार- प्रसार के लिए जागरूकता पैदा करना है। उर्दू और हिंदी की घनिष्टता का हवाला देते हुए उन्होंने एक कवि की दो पंक्तियां दोहराते हुए कहा, लिपट जाता हूं मां से और मौसी मुस्कराती है, मैं उर्दू में गजल कहता हूँ हिंदी मुस्कराती है। केरा सिंह के अनुसार हिंदी दिवस मनाने पर देश में वास्तिवकता कुछ अलग ही है, क्योंकि हिंदी दिवस पर हम इकठ्ठे जरूर होते हैं, मगर भाषण अंग्रेजी में दिया जाता है।
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