सत्य खबर
इंसानों के बाद अब जानवरों में भी कोरोना वायरस मिलने के मामले सामने आने लगे है। बता दें कि लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के एनिमल बायोटेक्नॉलॉजी विभाग ने अपने एक रीसर्च में बुवाइन कोरोना वायरस को खोजा है। जो कोरोना प्रजाति का ही बताया जा रहा है। यह वायरस एक कटड़े (एक माह से छोटा भैंस का बच्चा) में पाया गया है।
आपको बता दें कि विज्ञानियों ने लॉकडाउन से पहले प्रदेशभर से कटड़ों के 250 से ज्यादा नमूने लिए थे। जिसमें से कई पॉजिटिव निकले। इसमें से पांच संक्रमित नमूनों को लैब में विकसित कर सीक्वेंसिंग की गई और उनके बारे में जाना गया। यह इसलिए किया गया था क्योंकि वायरस अलग-अलग जानवरों में दाखिल होने की प्रवृत्ति रखता है। इस रीसर्च में उन्हें पता चला कि यह बुवाइन कोरोना है और यह ऊंट से कटड़े में आया है। यह विशेष तौर पर कटड़े को भी अपना शिकार बनाता है।
यह वायरस पशुओं से इंसानों में भी जा सकता है
इस वायरस की यह प्रकृति होती है कि वह म्यूटेट होता रहता है। यानि यह बड़े पशुओं और इंसानों में भी जा सकता है। खास बात यह है कि पालतू पशु इंसानों के काफी करीब रहते हैं। अगर यह म्यूटेट होकर इंसानों में पहुंचा तो काफी नुकसान पहुंचा सकता है।
10 वर्षों में बढ़ेंगी जूनोटिक समस्याएं, एकल स्वास्थ्य ही उपाय
एनिमल बायोटेक्नोलॉजी विभाग की वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. मीनाक्षी ने बताया कि आने वाले 10 वर्षों में इंसानों में जो बीमारियां आएंगी वह पशुओं से आने की संभावना है। उन्होंनें बताया कि जैसे कोरोना वायरस, इसका खतरा अभी तक टला नहीं है। ऐसे ही कई वायरस हैं जो जानवरों में मौजूद होते हैं और म्यूटेशन के बाद नया रूप ले सकते हैं। इसकी सर्विलांस नेटवर्क स्तर पर होनी चाहिए। इसके साथ ही एकल स्वास्थ्य शिक्षा पर जोर देना होगा।
जी-7 की बैठक में पीएम ने की थी एकल स्वास्थ्य पर बात
एकल स्वास्थ्य में वेटरनरी, मेडिकल, आयुर्वेद, योग जैसी विधाओं को एक साथ एक मंच पर आकर काम करना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल ही में जी-7 देशों की बैठक में एकल स्वास्थ्य की बात कही थी। सार्स कोरोना पर देश में काम हो रहा है मगर देशभर में यह भी जानना जरूरी है कि यह वायरस अब किस प्रजाति में जा रहा है क्या यह पशुओं में जा रहा है। इसके साथ ही वाइल्ड लाइफ की भी स्क्रीनिंग होना जरूरी है।
बुवाइन कोरोना के क्या है लक्षण
इसमें कटड़े को दस्त होते हैं। डायरिया हो जाता है। यहां तक कि मर भी सकता है। इसके साथ ही यह वायरस बड़े पशुओं और घर में रहने वाले सदस्यों को भी संक्रमित कर सकता है। यह पशुओं के मलमूत्र, दूध या मांस के जरिये इंसानों में पहुंच सकता है। वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. मीनाक्षी बताती हैं कि सार्स कोविड-2 में भी शुरुआत में कई लोगों को दस्त हुए थे। विज्ञानी इस वायरस का उपचार भी नैनो फार्मूलेशन से खोज रहे हैं। इसमें काफी सकारात्मक परिणाम मिले हैं। पशुओं का इस फॉर्मूलेशन से उपचार किया जा सकता है।
क्या होता है जूनोसिस
विश्व में कई प्रकार के पशु जन्य रोग (जूनोसिस) हैं जो पालतू और वन्य प्राणियों से मनुष्य में या फिर मनुष्य से पशुओं में संक्रमित हो सकते हैं। जिनमें टीबी, रेबीज, प्लेग, टिटनेस, डेंगू, इबोला, ब्रसेलोसिस, एन्थ्रेम्स, बर्ड फ्लू, ग्लेन्डर्स, क्यू फीवर आदि भी शामिल हैं।
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