सत्यखबर, उकलाना, अमित वर्मा
कौन कहता है आसमाँ में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों । इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है किनाला गाँव के किसान परिवार में जन्मी मनीषा कुण्डू ने। ग्रामीण आँचल में पली-बढ़ी मनीषा ने कर्नाटक में हो रही नेशनल जूनियर कुश्ती प्रतियोगिता में पंजाब के खिलाड़ी को 3-0 से हराकर गोल्ड मेडल हासिल किया ।
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जब मनीषा कुण्डू जीत कर अपने गाँव किनाला पहुँची तो ग्रामीणों ने मनीषा का फूलमालाओं और पटाखों के साथ स्वागत किया । गाँव की महिलायें भी स्वागत करने में पीछे नहीं रही उन्होंने भी मनीषा को सिर-आखों पर बैठा कर हरियाणवीं संस्कृति के रंग बिखरते हुए हरियाणवीं गानों और भजनों के साथ अपनी विजेता बेटी का स्वागत किया । मनीषा की जीत का काफिला पाबड़ा गाँव समेत पंचग्रामी के सभी गाँव से हो कर गुजरा।मनीषा कुण्डू ने ग्रामीण परिवेश के लोगों से अपील की कि माता पिता को अपनी लड़कियों की पढ़ाई के साथ- साथ खेल पर भी ध्यान देना चाहिए। लड़कियां किसी से कम नही है वो भी कामयाब होकर अपने परिवार, गाँव, देश- प्रदेश का नाम रोशन कर सकती है।
https://www.youtube.com/watch?v=vFk0nKDPAsg
गाँव की सरपँच रचना देवी ने स्वर्ण पदक विजेता मनीषा कुण्डू का हौंसला बढ़ाते हुए कहा कि लड़कियां भी लड़को से कम नहीं है। उन्होंने ग्रामीणों से अपील की कि अपनी लड़कियों को चूल्हा चौका तक सीमित ना रखे, लड़कियां भी कामयाब हो सकती है और वो भी आगे बढ़ सकती है बस उन्हें उचित अवसर की जरूरत है। लड़कियां भी मनीषा कुण्डू की तरह गोल्ड मेडल ला सकती है ।
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