सत्य खबर उकलाना (अमित वर्मा) :- हमारे बच्चे ही नहीं रहेंगे तो हम ज़िंदा रहकर क्या करेंगे साहब…इससे अच्छा तो हम भूखे प्यासे या बीमारी से ही मर जाए या हमें घर भेज दो….ये उन प्रवासी मजदूरों का दर्द है जो लॉक डाउन की वजह से करीब डेढ़ महीने से उकलाना में फंसे हुए है….घर जाने के लिए डीएम साहब से परमिशन लेने के लिए मिलने जाते है तो पुलिस वाले रस्ते में ही डरा धमका कर भगा देते हैं…उन तक पहुंचने ही नहीं देते….
मजदूरों का कहना है कि कभी खाना मिल जाता है तो कभी भूखे ही रहते है प्रसाशन ओर सरकार की कोई मदद भी नही पहुंच रही…ऐसे में अगर परमिशन मिल जाए तो हम लोग पैदल ही जाने के लिए तैयार है…लॉक डाउन में फंसे ये प्रवासी मजदूर हर उस अधिकारी से गुहार लगाना चाहते है जो उन्हें घर भेज सकें….मजदूरों का तो ये भी कहना है कि प्रसाशन के खाना पहुंचने के जो दावे है वो भी सही नही हैं, मजदूरों के अनुसार कभी उन्हें खाना मिल जाता है तो कभी वो भूखे ही रहते है
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गौरतलब है कि लॉक डाउन की वजह से मध्यप्रदेश और यूपी के कई प्रवासी मजदूर हरियाणा उकलाना में फंसे हुए है जो घर जाने की परमिशन के लिए प्रसाशन के कई बार चक्कर लगा चुके है लेकिन वहां तक पहुंचने ही नही दिया जाता….तो वहीं कहीं ना कहीं सरकार और प्रशासन के उन दावों की पोल भी खुलती नजर आ रही है जिसमें सरकार ने प्रवासी मजदूरों के लिए सभी सुविधाएं देने की बात कही थी.
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