सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
केएम राजकीय महाविद्यालय में एनएसएस के स्वयंसेवकों ने प्रभारी प्रो. जयपाल देशवाल के नेतृत्व में किसानों को पराली ना जलाने बारे प्रेरित किया। उन्होंने गांवों में जाकर किसानों को पराली ना जलाने व उससे देसी खाद के रूप में परिवर्तित करने के बारे में भी अवगत कराया। उन्होंने बताया कि पर्यावरण प्रदूषण के लिए पराली जलाना एक मुख्य कारण है। इसके अतिरिक्त जलवायु को भी खराब किया जा रहा है, जिसका सीधा प्रभाव मनुष्यों के साथ अन्य जीव-जंतुओं पर भी पड़ रहा है। इसलिए किसानों को खेतों में पराली को कंपाइन एवं रेपर से कटवा कर उसको फालों से जोत करनी चाहिए। फिर पानी लगाकर उसके ऊपर डी कम्पोजर का छिड़काव करने पर मात्र 15 दिनों में पराली गल जाएगी और खेत बुवाई के लिए तैयार हो जाएगा। इससे जमीन की शक्ति और उसकी प्रकृति में सुधार आएगा और उससे उत्तम अनाज पैदा होगा।
पराली ना जलाने वाले किसानों की हस्ताक्षर युक्त सूची तैयार की
एनएसएस के स्वयंसेवकों ने गांव जुलहेड़ा तथा डूमरखां में जाकर पराली ना जलाने वाले किसानों की ना केवल सूची तैयार की, बल्कि उनकी सहमति की पुष्टि के लिए उन पर हस्ताक्षर भी करवाए। उन किसानों में गांव जुलहेड़ा से जहां सुभाष, रामकुमार, कृष्ण, राममेहर, राजपाल, कृष्ण, बसाऊ, रोशन, सतबीर, सत्यवान आदि किसानों ने हस्ताक्षर करके अपनी सहमति जताई, वहीं डूमरखां के किसान सुरेश, अमरजीत, रमेश, रामकला, राजपाल, जगबीर, राजेन्द्र, सेवा सिंह, सतपाल, रामनिवास आदि ने भी पराली न जलाने का संकल्प लिया।
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