तरावड़ी, (रोहित लामसर)
शौंक कब कला बन जाए, इसका अंदाजा नही लगाया जा सकता, लेकिन जब मन में हो कुछ करने की तो इंसान क्या कुछ नही कर सकता, सिर्फ जरूरत है तो अपनी कला को निखारकर समाज के सामने पेश करने की। ऐसा ही एक उदाहरण समाजसेविका डा. कान्ता वर्मा ने पेश किया। उन्हें बचपन से कविताएं पढऩे का शौंक था, लेकिन उन्हें यह नही पता था कि आखिर एक दिन ऐसा भी आऐगा कि उनके द्वारा लिखी कविताओं से न केवल किसी के जीवन में उजियाला होगा, बल्कि उनके द्वारा लिखी कविताएं कार्यक्रमों में लोगों को तालियां बटोरने पर मजबूर भी करेंगी। नीलोखेड़ी की रहने वाली कान्ता वर्मा अब तक हजारों कविताएं लिख चुकी हैं। लिखने के साथ-साथ उन्हें कार्यक्रमों में अपनी कविताएं और कला बिखेरने का मौका भी मिलता हैं। उन्होनें कविताओं के माध्यम से लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ कुछ युवाओं को नशे से भी दूर किया जिससे उनकी ङ्क्षजदगी में उजियाला हुआ। कविताएं लिखने को लेकर वह कई बार पूरे प्रदेश में राज्य स्तर पर सम्मानित भी हो चुकी हैं। हाल ही में कान्ता वर्मा को पानीपत में आयोजित नारी तू नारायणी उत्थान समिति की ओर से शिक्षक रत्न अवार्ड से नवाजा गया। इसके अलावा एंटी करप्शन फाऊंडेशन ऑफ इंडिया की तरफ से भी उन्हें नैशनल टीचर अवार्ड मिला। आपको बता दें कि समाजसेविका एवं राष्ट्रीय कवियत्री डा. कान्ता वर्मा शिक्षा के क्षेत्र में एवं कविताओं, रचनाओं के माध्यम से समाज को नशे और सामाजिक बुराईयों के खिलाफ जागरूक करने का काम कर रही हैं। उन्होंने समाज को नशे, कन्या भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा, बाल विवाह के अलावा अन्य समाज में फैली सामाजिक बुराईयों के खिलाफ लोगों को जागरूक करने में अहम भूमिका निभाई।
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