सत्यखबर संपादकीय
कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी । हालांकि इसका गठन एक अंग्रेज ए ओ ह्यूम ने किया था और संयोग यह है कि इस समय भी श्रीमती सोनिया गांधी इसकी अध्यक्ष हैं जिनको लेकर पहले तो विरोधी ही सक्रिय थे और विदेशों होने का इल्जाम सरेआम लगाते थे लेकिन फिर शरद पवार ने भी यही इल्जाम लगा कर नयी पार्टी बना ली राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी । मजेदार बात कि महाराष्ट्र में गठबंधन इसी विदेशी महिला के बाद करते आ रहे हैं । है न कमाल । इन दिनों भी महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ शिवसेना व एनसीपी का गठबंधन है और सरकार के मज़े लिए जा रहे हैं । कांग्रेस संगठन को लेकर गुलाम नवी आजाद के नेतृत्व में जी 23 समूह सामने आया और जम्मू में गुलाबी पगड़ियां पहन कर विद्रोह का बिगुल बजाते नेता दिखे । इनमें जितिन प्रसाद भी एक थे , जो हाल ही के दिनों में भाजपा में चले गये संगठन को कोसते हुए । पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया गये थे कांग्रेस नेतृत्व को बुरा भला कहते ।
आखिर कांग्रेस संगठन में क्या कभी आई है ? शायद आंतरिक लोकतंत्र की कभी आई है । अंदर लोकतंत्र नहीं महसूस हो रहा । कभी ज्योतिरादित्य, जितिन प्रसाद और सचिन पायलट कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी की आंख के तारे हुआ करते थे और बेरोकटोक मिलने पहुंच जाते थे । अपने वरिष्ठ कांग्रेसजनों को नजरअंदाज कर इन्हें मंत्री बनाया गया । तब संगठन और दल में कोई घुटन महसूस नहीं हुई । जब सत्ता से कांग्रेस बाहर गयी तो दम घुटने लगा और हाथ झटक कर बाहर आ गये । दूसरी ओर वरिष्ठ कांग्रेसियों ने भी अपना विरोध चिट्ठियां लिख लिख कर निकालना शुरू कर दिया । इनमें कपिल सिब्बल सबसे आगे चल रहे हैं । जो भी हो कांग्रेस संगठन की सर्जरी या मंथन होना समय की जरूरत बन चुका है । राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं राज्यों में भी इसके आमूल-चूल परिवर्तन की जरूरत आन पड़ी है । पंजाब हो या राजस्थान या फिर हरियाणा इनके नये घटनाक्रम इसी बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि संगठन की सुध लीजिए ।
हरियाणा में पिछले सात साल से अध्यक्ष तो है लेकिन जिला स्तरीय संगठन नहीं हैं । मनोनीत पद दिये जा रहे हैं जिससे आंतरिक लोकतंत्र खत्म हो रहा है । क्या कारण है कि जिलास्तर पर पदाधिकारी या समितियां गठित नहीं हो पा रहीं ? नेता अपने अपने विश्विसपात्रों को इनमें बिठाने के लिए आतुर हैं जिससे ये कमेटियां सिरे नहीं चढ़तीं और अध्यक्ष महोदय का कार्यकाल समाप्त होने पर आ जाता है । जब किसी दल के पास निचले स्तर पर कार्यकर्त्ता निराश हो तो उसमें उत्साह का संचार कैसे हो सकता है ? चुनाव में मतदान केद्र के बाहर बस्ता लेकर कौन बैठेगा? भाजपा ने इसी स्तर पर काम किया और उसे इसका परिणाम मिला । अब भाजपा के कार्यालय सभी नये उपकरणों संसाधनों से लैस हैं जबकि कांग्रेस भवन आर्थिक अभाव से जूझ रहे हैं । संगठन की बात राष्ट्र से लेकर निचले स्तर तक जरूरी हो गयी है । पंजाब में चुनाव आ रहे हैं और कांग्रेस हाईकमान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच दूरियां कम नहीं कर पा रहा जबकि मैराथन मीटिंग्स हो चुकीं । जी 23 समूह की चेतावनी के बाद कोई कदम नहीं उठाया गया जिससे लगे कि कोई सबक लिया है । राहुल गांधी सक्रिय दिखते हैं लेकिन अध्यक्ष पद छोड़ कर रूठ जाते हैं । क्यों ? प्रियंका गांधी की भूमिका यूपी तक सीमित कर रखी है और राहुल को नयी ड्रीम टीम बनानी होगी जो इस संघर्ष में उनका साथ दे न कि सत्ता सुख पाकर साथ छोड़ कर चले दे । पर यह भी बात बार बार उठती है कि आखिर गांधी परिवार से बाहर कभी कांग्रेस निकल पायेगी? यह भी एक यक्ष प्रश्न है आज का । क्या कांग्रेस गांधी परिवार से बाहर कुछ सोचेगी? या इसका भविष्य अभी इसी परि वार के हाथों में सुरक्षित माने जायेगा?
9416047075
Recycled aluminium products Aluminum scrap remelting Precious metal market dynamics
Scrap metal certifications Ferrous material recycling national policies Iron scrap reclaiming and recovery
Ferrous material recycling water conservation, Iron scrap management, Scrap metal logistics optimization