सत्यखबर, चढ़ीगढ़
बता दे की हरियाणा सरकार किसानों के हितों को साधने के लिए 3 जून को लागू हो चुके केंद्र सरकार के तीनों कृषि अध्यादेशों पर किसान और व्यापारियों की सहमति बनाने के लिए जमीनी स्तर पर काम कर रही है। इसके लिए मनोहर लाल सरकार ने कृषि अध्यादेशों में किसान व व्यापारियों के हितों को साधने का काम किया है।
इसके साथ ही सरकार ने यह भी तय कर दिया है कि गेहूं व धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीद पर कोई असर नहीं पड़ने दिया जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा राशन डिपो पर वितरण करने के लिए जितने खाद्यानों की जरूरत होगी,उतना सरकारी खरीद के माध्यम से भंडारित किया जाएगा। राज्य सरकार की इस पहल से यह साफ हो गया है कि कृषि अध्यादेशों से किसान और व्यापारियों के हितों पर कोई असर नहीं पड़ेगा बल्कि दोनों की आमदनी की राह का विस्तार होगा।
बता दे की प्रदेश में दूसरे राज्यों की तरह गेहूं और धान की एमएसपी पर शत प्रतिशत खरीद होती है। इसके अलावा सरसों, बाजरा, चना, मूंग, सूरजमुखी व मक्का की भी शत प्रतिशत एमएसपी पर खरीद की जा रही है। पिछले साल गेहूं 930.05 लाख क्विंटल, धान 569.80 लाख क्विंटल, सरसों 61 लाख क्विंटल, बाजरा 30.92 लाख क्विंटल, सूरजमुखी 1.15 लाख क्विंटल, मूंग 26000 क्विंटल, चना 2000 क्विंटल की खरीद हुई।
इस बार सितंबर माह के बाद यह माना जा रहा है कि राज्य में मक्के की पांच लाख क्विंटल खरीद होगी। राज्य सरकार के लिए सबसे सकारात्मक पहलू यह भी है कि देश भर में इतने खाद्यान्न की सरकारी खरीद केवल इसी राज्य में होती है।दूसरे राज्यों में सरसों, बाजरा व तिलहन की खरीद नहीं होती या फिर ज्यादा से ज्यादा 25 फीसद तक होती है। सरकारी खरीद के लिए संसाधनों की दृष्टि से पंजाब की मंडिया भी बेहतर हैं।
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