सत्यखबर, पिल्लूखेड़ा (संजय जिन्दल) – किसान कल्याण विभाग पिल्लूखेड़ा द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन हेतु किसानों को जागरूक करने के लिए गांव खरक गादिया में जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर के सयोंजक कृषि विकास अधिकारी डा. सुभाष चंद्र ने बतायश कि खंड के प्रत्येक गांवों में जागरूकता शिविर लगाकर धान की पराली न जलाने व उसके अन्य प्रयोगों के बारे में किसानों को जागरूक किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग द्वारा पूरे जिला जींद में 137 कस्टम हायरिंग सैंटर शुरू किए गए हैं।
जहां पर धान की पराली के प्रबंधन के लिए कृषि मशीनरी जैसे सुपरस्ट्रा मैनेजमैंट सिस्टम सहित कम्बाइन मशीन, हैप्पी सीडर, जीरो ड्रील मशीन आदि उपलब्ध होंगी। जहां से किसान उनरोक्त मशीने किराये पर लेकर प्रयोग कर सकेंगे। शिविर में मुख्यवक्ता कृषि विज्ञान पांडू पिडारा के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. यशपाल मलिक ने बताया कि एक टन पराली जलाने से 5.5 किलोग्राम नाईट्रोजन, 12 किलोग्राम सलफर, 2.3 किलोग्राम पोटाश व 400 किलोग्राम और्गेनिक कार्बन जलकर नष्ट हो जाते हैं। पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषण अलग से होता है। यदि किसान धान की पराली को भूमि में मिलाते हैं तो यूरिया खाद का ज्यादा प्रयोग नहीं करना पड़ेगा।
जिससे फसल में कीड़े व बीमारी कम आएंगे। उन्होंने बताया कि किसान अपने खेत में जीरो ड्रील मशीन या हैप्पीसीडर सेे ही गेहूं की बिजाई करे। इससे किसान का समय भी बचेगा व खर्चा भी बचेगा। गेहूं में मंडूसी नामक खरपतवार का जमाव भी कम होगा। बी.टी.एम. मजीत सिंह ने बताया कि किसान हैप्पीसीडर 50 प्रतिशत अनुधान पर प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए विभाग के कृषि अभियंता से सम्पर्क करे। शिविर में गुरूमंगत सिंह, गुरजैंट सिंह, इकबाल सिंह, जगबीर सिंह, बलजीत सिंह, सुबा सिंह, मुख्तयार सिंह, जगदीश, देवेंद्र, अवतार सिंह, विक्रम सिंह आदि किसानों ने भाग लिया।
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