सत्यखबर, नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज खाने के तेल की कीमतों को काबू करने के लिए बुधवार को मंथन किया जाएगा। संभवना यह है कि तेल की कीमतों से जुड़ा बड़ा फैसला हो सकता है। मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक सीसीईए की बैठक में बुधवार को खाने की तेल कीमतों को सरकार नेशनल एडिबल ऑयल मिशन का ऐलान कर सकती है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य देश में पाम ऑयल उत्पादन को बढ़ावा देना है। इस मिशन के तहत सरकार 11 हजार करोड़ के आवंटन का ऐलान कर सकती है।
बता दें कि पाम तेल उत्पादन में इंडोनीशिया दुनिया में नंबर एक पर है। दूसरे नंबर पर है मलेशिया है। कुछ अफ्रीकी देशों में भी इसका उत्पादन होता है। खाने वाले तेलों के मामले में भारत के आयात का दो तिहाई हिस्सा केवल पाम ऑयल का है। भारत सालाना करीब 90 लाख टन पाम ऑयल का आयात करता है। भारत में इंडोनीशिया और मलेशिया दोनों ही देशों से पाम ऑयल का आयात किया जाता है। इससे मुंह में पिघल जाने वाली क्रीम और टॉफ ी-चॉकलेट बनाये जाते हैं। फि लहाल दुनियाभर में 8 करोड़ टन के आसपास पाम ऑयल पैदा होता है।
वहीं पिछले हफ्ते राज्यसभा में खाद्य और उपभोक्ता मामलों के राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने खाद्य तेल की बढ़ी हुई कीमतों को कम करने के लिए किए जा रहे सरकार के प्रयासों के बारे में जानकारी दी थी।
उन्होंने बताया कि खाद्य तेलों की कीमतों को कम करने के लिए कच्चे पाम तेल पर शुल्क में 30 जून 2021 से 30 सितंबर 2021 तक 5 प्रतिशत की कटौती की गई है। इस कमी ने सीपीओ पर प्रभावी कर की दर को पहले के 35-75 प्रतिशत से घटाकर 30-25 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके अलावा रिफ ाइंड पाम तेल, पामोलिन पर शुल्क 45 प्रतिशत से घटाकर 37.5 प्रतिशत कर दिया गया है।
चौबे ने बताया कि रिफाइंड ब्लीच्ड डियोडोराइज्ड आरबीडी पाम तेल और आरबीडी पामोलिन के लिए एक संशोधित आयात नीति 30 जून 2021 से लागू की गई है। जिसके तहत इन वस्तुओं को प्रतिबंधित से मुक्त श्रेणी में स्थानांतरित कर दिया गया है। वहीं अब बुधवार को पीएम मोदी सरकार के मुख्य सलाहाकारों से सलाह-मशवार करने के बाद कोई ऐसा ऐलान कर सकते हैं। जिससे खाने के तेलों में कमी आ सके। दरअसल किसानों के आंदोलन के चलते हर चीज के बढ़ते दामों ने केन्द्र की बीजेपी सरकार को खाने के तेेलों के दामों में कमी करना मजबूरी है। वजह यह भी है कि वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश व पंजाब आदि राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। जिसमें किसानों की नाराजगी झेल रही बीजेपी सरकार को मंहगाई और भी ज्यादा परेशान कर सकती है।
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