सत्य खबर, हाँसी
बेरोजगार युवकों को भारतीय सेना, सशस्त्र सुरक्षा बल और रेलवे में नौकरियां दिलाने के नाम पर 1.35 करोड़ रुपए ठग लिए गए। किसी को भनक तक नहीं लगने दी गई। सब कुछ सुनियोजित तरीके से हुआ। बेरोजगारों की चेन बनाकर ठगी को अंजाम दिया गया। एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे को शिकार बनाया गया। ठगी करने वाले का व्यक्तित्व और तौर-तरीका ऐसा कि किसी को संदेह तक नहीं हुआ।
उसके जाली दस्तावेज असली ज्वाॅइनिंग लेटर जैसे लगे। सच्चाई सामने आई तो सभी हैरान रह गए। कइयों की तो जीवन भर की कमाई और बचत चली गई। कुल 24 युवा ठगी का शिकार हुए हैं। इनकी संख्या और बढ़ सकती है। ठगी की शुरुआत 2017 में हुई। मुख्य आरोपी और सूत्रधार हरनारायण तिवारी बड़सी के दिलबाग को बस स्टैंड पर मिला।
https://youtu.be/Oe0jNDubOeo
दिलबाग टैम्पू चलाते हैं। तिवारी ने सुनियोजित तरीके से उन्हें झांसे में लिया। जान-पहचान की और एक दिन उनका टैम्पू किराए पर लिया। लघु सचिवालय से हिसार चुंगी तक। हिसार चुंगी पर उतरकर वह कहीं चला गया। अपना फोन नंबर देकर दिलबाग का नंबर ले गया। वार्तालाप करता रहा। बस स्टैंड के आसपास और शिकार तलाशता रहा। उसकी पर्सनालिटी और बात करने के तौर-तरीके के चलते किसी को उस पर संदेह नहीं हुआ। दिलबाग के अनुसार मामले में नामजद विनीता को सैन्य अधिकारी की पत्नी बताया और भरोसा दिया कि वह सब मैनेज कर लेगी। उसी के अकाउंट का नंबर दिया और नकदी खाते में डलवाई। दूसरे आरोपी राजेश के खाते में भी पैसा डलवाया गया।
रांची के दिए पते पर पहुंचे युवा तो कुछ नहीं मिला
ठगी करने के लिए तिवारी ने चेन बनाई। शुरुआत में ठगी के शिकार हुए लोगों के परिचितों, रिश्तेदारों, जान-पहचान वाले लोगों तक को झांसे में लिया। ज्वाॅइनिंग लेटर पाकर गदगद कुछ युवा रांची के बताए गए पते पर गए तो पता चला कि वहां ऐसा कोई और कुछ नहीं है।
इन जगह पर की ठगी
ठगी के शिकार हुए लोग हांसी, बड़सी, फतेहाबाद, ढाणा खुर्द, सिंघवा, ढाणी ठाकरियां सहित कुछ अन्य स्थानों के रहने वाले हैं। नौकरियों के लिए किसी ने छह तो किसी ने सात लाख रुपए दिए।
मामला पहले पुलिस की इकोनॉमिक सेल के पास गया था। इकोनॉमिक सेल ने गहन छानबीन की, जिसके बाद एफआईआर दर्ज की गई है। -अशोक, आईओ, थाना शहर।
Scrap aluminum marketing Aluminium scrap eco-consciousness Metal scrap recycling