सत्य खबर
मार्च के महीने में दिल्ली एम्स की अगुवाई में WHO ने कोरोना वायरस से जुड़ी एक रिसर्च की शुरुआत की थी. इस रिसर्च के चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं. इस रिसर्च के मुताबिक अगर कोरोना की तीसरी लहर आयी भी तो इसका बच्चों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. एम्स ने WHO के साथ मिलकर यही जानने की कोशिश की थी कि अगर कोरोना की तीसरी लहर आयी भी तो इसका असर कितना होगा.
इसके लिए दिल्ली, भुवनेश्वर, गोरखपुर, पुद्दुचेरी, अगरतला में सीरो सर्वे करवाया था और सैंपल लिए थे. जिससे इस बात का अनुमान लगाया जा सके कि कितने लोगों को अनजाने में कोरोना का संक्रमण हो चुका है, या उनके शरीर में एंटीबॉडी बन गयी है. शहरी इलाकों में 1000 लोगों में से 748 सीरो पॉजिटिव पाए गए. यानी यह अंदाजा लगाया गया कि 74.7% लोगों में एंटीबॉडी बनी. वहीं ग्रामीण इलाकों में 3508 लोगों का अध्ययन हुआ, इनमें 2063 लोग सीरो पॉजिटिव पाए गए. यानी 58.8% लोगों के शरीर में कोरोना के एंटीबॉडी मिले.
वहीं इस स्टडी में अंतरिम रिपोर्ट के मुताबिक वयस्क लोगों में और बच्चों में संक्रमण बराबर हुआ है. 18 साल से कम उम्र के लोगों में 55.7% और 18 साल या 18 से ज्यादा वालों में 63.5% का संक्रमण हो चुका है. इसका मतलब साफ है कि तीसरी लहर में बच्चों पर खतरे की जो बात कही जा रही है, उम्मीद है वैसा नहीं होगा.
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जानकारों की मानें तो स्टडी की नतीजे यह बतातें हैं कि देश की बड़ी आबादी कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित कर चुकी है. इसका मतलब यह नहीं है कि आप लापरवाह हो जाएं क्योंकि वायरस लगातार अपना स्वरूप बदल रहा है, ऐसे में खतरा बरकरार है.
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