सत्यखबर, गुरुग्राम
गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 का उपयोग मानव जनित आपदा और बादशाहपुर नाले के 33 मीटर लंबे समय से लंबित विवाद को हल करने के लिए किया है, जो गुरुग्राम में मानसून के मौसम में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा करता है। जीएमडीए के अधिकारियों ने कहा कि नाले का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद बारिश के पानी के बहाव की क्षमता मौजूदा 800 क्यूसेक से 2300 क्यूसेक बढ़ जाएगी और इससे दिल्ली के हीरो होंडा चौक के पास लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। शहर का यह इलाका हर साल मानसून के दौरान बाढ़ जैसी स्थिति का गवाह बनता है।
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अधिकारियों ने कहा कि जीएमडीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुधीर राजपाल के हस्तक्षेप के बाद मामला सुलझा लिया गया।
जीएमडीए के मुख्य अभियंता प्रदीप कुमार ने कहा कि बादशाहपुर नाला गुरुग्राम शहर के बीच से गुजरता है। घाटा गांव से खांडसा गांव से होते हुए अंत में नजफगढ़ नाले में निकलता है। 26 किलोमीटर लंबी बादशाहपुर नाला गुरुग्राम से लगभग 60 प्रतिशत बारिश के पानी को साफ करने में मदद करता है। इसकी जल निकासी की कुल क्षमता 2300 क्यूसेक थी लेकिन 33 मीटर की इस अड़चन पर विवाद के कारण इस बिंदु पर वर्षा जल का निर्वहन 800 क्यूसेक था।
प्रदीप कुमार के अनुसार राजपाल ने गुरुग्राम के उपायुक्त यश गर्ग को पत्र लिखकर आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत नाला बनाने का आदेश पारित करने का आग्रह किया। इसका उद्देश्य बाढ़ की स्थिति से छुटकारा पाना था। जो हर बरसात में पैदा होता है।
वहीं ड्रेन के इस 33 मीटर टुक ड़े का मामला कई महीनों से कोर्ट में लंबित था। कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद जीएमडीए ने इस बॉक्स ड्रेन को मॉनसून से पहले तैयार करने के आदेश जारी किए हैं।
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