उन्होंने कहा कि शिकायत मिलने के बाद प्रदेश सरकार ने सतर्कता बरतते हुए पांचों जिलों में वितरित किये जा रहे पौष्टिक आटे की गुणवत्ता की जांच का निर्णय लिया। इसी के तहत प्रत्येक जिले के पांच-पांच डिपो से सैंपल लेकर जांच करवाई जा रही है। उन्होंने कहा कि इसकी गुणवत्ता की जांच के आधार पर ही अब आगे यह निर्णय लिया जाएगा कि प्रदेश भर में डिपो उपभोक्ताओं को पौष्टिक आटा दिया जाए या गेहूं के वितरण को ही जारी रखा जाये।
दुष्यंत चौटाला ने बताया कि प्रदेश के पांच जिलों अम्बाला, करनाल, हिसार, यमुनानगर व रोहतक में यह पोषणयुक्त आटा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसे पहले पीजीआई की सिफारिशों पर राज्य सरकार ने अम्बाला व करनाल में पायलट आधार पर शुरू किया था।साथ ही उपमुख्यमंत्री ने कहा कि खाद्य वस्तुओं में मिलावट को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार खाद्य वस्तुओं की गुणवत्ता को लेकर पूरी तरह गंभीर हैं और खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए निरंतर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि पदार्थों में मिलावट के रोकथाम के लिए निरंतर आमजन को जागरूक और समय-समय पर सैम्पलिंग करवाई जा रही है।
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