धुम्रपान करने से खुद को ही नहीं बल्कि दूसरों के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है बूरा असर : डॉ. भोला
सत्य खबर, जींद, महाबीर मित्तल: अंतरराष्ट्रीय तम्बाकू निषेद्य दिवस के अवसर पर स्थानीय नागरिक हस्पताल परिसर में एक सेमीनार का आयोजन किया गया। सिविल सर्जन डॉ. मनजीत सिंह ने कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। कार्यक्रम में उप सिविल सर्जन डॉ. राजेश भोला, डॉ. रमेश पंाचाल, डॉ. विजेन्द्र ढाण्डा तथा स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद रहे।
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सिविल सर्जन डॉ. मनजीत सिंह ने कहा कि तम्बाकू,बीडी,सिगरेट, हुक्का व गुटका जैसे नशीले पदार्थों का सेवन करने से मानव शरीर को अनेक जानलेवा बीमारियां घेर रही है। कोरोना काल में धुम्रपान और भी घातक बन रहा है। ऐसे में लोगों को धुम्रपान के सेवन से बचना चाहिए और अपनी रोग रोधी क्षमता को मजबूत करने के लिए निरन्तर प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रारम्भ में व्यक्ति शौक में तम्बाकू का सेवन करना शुरू कर देता है लेकिन धीरे- धीरे इसकी आदत पड़ जाती है जो बाद में छोडऩी काफी मुश्किल हो जाती है। उन्होंने कहा कि तम्बाकू का सेवन करने से फेफड़ों, मुंह, सांस नली, पेट, किडऩी, पैक्रियाज, ब्लैडर तथा मुत्राश्य का कैंसर हो जाता है। इन बीमारियों के अलावा तम्बाकू का फेफड़ों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है जिससे श्वांस का रोग हो जाता है जो कई बीमारियों का जन्मदाता साबित होता है।
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उप सिविल सर्जन डॉ. राजेश भोला ने कहा कि तम्बाकू के सेवन से हर वर्ष अनेक किम्मती जान काल का ग्रास बन जाती है इन बहुमूल्य जानों को बचाने के लिए सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए जा रहे है। धुम्रपान से होने वाले टी बी रोग के ईलाज के लिए सरकार द्वारा मुफ्त इलाज करवाया जा रहा है। टी बी के मरीज को इलाज के दौरान 5०० रुपए प्रतिमाह दिए जाते है। यहीं नहीं टी बी के मरीज का पंजीकरण करवाने वाले व्यक्ति को भी 5०० रुपए की राशि प्रोत्साहन के रूप में दी जा रही है। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो धुम्रपान से 8० लाख लोगों की असामायिक मृत्यु हो रही है। इनमें 12 लाख व्यक्ति तो ऐसे है जो धुम्रपान भी नहीं करते है, इनकी मृत्यु का कारण आसपास धुम्रपान करने वाले व्यक्ति बनते है। उन्होंने कोरोना काल में धुम्रपान करने वाले लोगों से निवेदन किया है कि वे इस लत को पूर्ण रूप से छोडक़र खुद के जीवन को बचाएं और आसपास रहने वाले लोगों को भी जीवन का वरदान दें।
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