सत्यखबर
मिर्चपुर गांव के फौजी की मौत ने पूरे परिवार को हिला कर रख दिया। पांच साल पहले उसके पिता की मौत हो गई थी और दो साल पहले उसके छोटे भाई की भी मौत हो गई थी। आज घर में तीन विधवाओं के अलावा छोटे बच्चे ही नजर आ रहे थे। हर कोई यह ढांढस बांध रहा था कि भगवान को यही मंजूर था। मिर्चपुर गांव के फौजी वीरेंद्र की मौत के बाद उसके घर में कोई भी बड़ा घर को संभालने वाला नहीं बचा। वीरेंद्र की बुजुर्ग माता कृष्णा अपने बेटे की याद में डूबी हुई थी कि एक महीने तक वह हर रोज उसके पास बैठकर ढेर सारी बातें करता था और दिलासा देता था कि पूरे परिवार को वह एकजुट रखेगा। लेकिन अनहोनी के आगे कुछ नहीं हो सकता।
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वीरेंद्र की पत्नी मोनिका देवी का रो-रोकर बुरा हाल था उसे क्या पता था कि वह आखरी बार उसका चेहरा देखकर गया था और फिर कभी नहीं देख पाएगा। भविष्य को लेकर उसने ढेर सारी योजनाएं तैयार कर रखी थी। वह अपने बड़े बेटे 14 वर्षीय अमन को और 8 वर्षीय रमन को पढ़ाई में मन लगाकर पढऩे के लिए प्रेरित करता था। 10 वर्षीय बेटी हरप्रीत उसको जान से भी प्यारी थी और वह अपनी बेटी को सेना में उच्च अधिकारी बनने का सपना देखता था। तीनों बच्चों की शिक्षा के लिए वह उनका पूरा ख्याल रखता था। मृतक बीरेंद्र के पिता सतपाल सिंह हरियाणा रोडवेज में कार्यरत थे और वह 5 साल पहले बीमारी के कारण मौत हो गई थी। उसका छोटा भाई नरेंद्र भी सेना में कार्यरत था और उसकी भी दो साल पहले एक दुर्घटना में मौत हो गई थी।
वीरेंद्र की पत्नी मोनिका देवी का रो-रोकर बुरा हाल था उसे क्या पता था कि वह आखरी बार उसका चेहरा देखकर गया था और फिर कभी नहीं देख पाएगा। भविष्य को लेकर उसने ढेर सारी योजनाएं तैयार कर रखी थी। वह अपने बड़े बेटे 14 वर्षीय अमन को और 8 वर्षीय रमन को पढ़ाई में मन लगाकर पढऩे के लिए प्रेरित करता था। 10 वर्षीय बेटी हरप्रीत उसको जान से भी प्यारी थी और वह अपनी बेटी को सेना में उच्च अधिकारी बनने का सपना देखता था। तीनों बच्चों की शिक्षा के लिए वह उनका पूरा ख्याल रखता था। मृतक बीरेंद्र के पिता सतपाल सिंह हरियाणा रोडवेज में कार्यरत थे और वह 5 साल पहले बीमारी के कारण मौत हो गई थी। उसका छोटा भाई नरेंद्र भी सेना में कार्यरत था और उसकी भी दो साल पहले एक दुर्घटना में मौत हो गई थी।
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